पिंपरी: विशेष सर्वसाधारण सभा (Special Meeting) बुलाने के मुद्दे पर पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) की सत्ताधारी बीजेपी (BJP) और विपक्ष राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में ठन गई है। एनसीपी की विशेष सभा बुलाने की मांग पर महापौर ऊषा ढोरे (Mayor Usha Dhore) ने तंज कसते हुए कहा कि एनसीपी वाले तो कल को शनिवारवाड़ा भी मांग लें। इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व महापौर योगेश बहल (Former Mayor Yogesh Behl) ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान और बीजेपी के बस में होता तो उन्होंने शनिवारवाड़ा अब तक गिरवी रख दिया होता या फिर बेच खाया होता।
पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका की 18 फरवरी की सर्वसाधारण सभा 17 मार्च तक स्थगित की गई है, जबकि मौजूदा नगरसेवकों और सभागृह का कार्यकाल 13 मार्च को खत्म हो रहा है। महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा टालने के लिए बीजेपी ने बहुमत का फायदा उठाते हुए सभा स्थगन की चाल चलने का आरोप राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से लगाया गया। साथ ही स्थायी समिति में रहे एनसीपी के चार सदस्यों ने महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम के प्रावधान के आधार पर विशेष सर्वसाधारण सभा बुलाने की मांग महापौर ऊषा ढोरे से की थी।
उस पर महापौर ने तंज कसा था कि एनसीपी के सदस्य कुछ भी मांग करेंगे, कल वे शनिवारवाड़ा भी मांग सकते हैं तो क्या दे देना चाहिए? इस पर एनसीपी की ओर से पूर्व महापौर योगेश बहल ने पलटवार करते हुए महापौर के बयान पर अफसोस जताया है।
योगेश बहल ने एक बयान में कहा है कि स्थायी सदस्यों को महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विशेष सभा बुलाने का अधिकार है। मगर महापौर ने इस बारे में बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, गैरजिम्मेदार और अपमानजनक बयान देकर बीजेपी के भ्रष्ट आचरण को छिपाने की कोशिश की है। चूंकि वह इस शहर के पहले नागरिक हैं और किसी पार्टी के नहीं हैं, ऐसे में उनसे इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने जो बयान दिया है वह पूरे शहर का अपमान है। बीजेपी के पदाधिकारियों, नगरसेवकों और नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके हैं और उनके पैरों तले से रेत निकल रही है इसलिए वे बेतुके बयान दे रहे हैं, लेकिन अफसोस है कि महापौर भी गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर उनके दूसरे नेताओं के साथ जुड़ गई। हम अपने मंच पर अन्य बीजेपी नेताओं के विचित्र बयानों का जवाब देंगे ही, मगर महापौर का बयान खेदजनक है।
महापौर ने ऐसा बयान दिया है, ‘अगर राष्ट्रवादी शनिवारवाड़ा मांगती है, तो क्या आप भी देंगे?’ हम निश्चित रूप से शनिवारवाड़ा की मांग करने इतना अज्ञानी कदापि नहीं हैं। हालांकि शनिवारवाड़ा का उल्लेख महानगरपालिका अधिनियम में होता तो बीजेपी अब तक उसे गिरवी रखती या बेच देती। इसलिए, हमने कानूनी मामलों के अधीन एक विशेष आम बैठक की मांग की है। आप सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और महापौर हैं। पिछले पांच वर्षों में, उनकी पार्टी ने प्रक्रिया के किसी भी नियम का पालन नहीं किया है। मनमानी सभाएं कीं, अधिनियम का पालन नहीं किया। इन सभी मामलों को हमने एक विपक्षी दल के साथ-साथ शहर के जागरूक लोगों के रूप में अनुभव किया है। इसलिए हमें विश्वास है कि महानगरपालिका चुनाव में इस शहर के मतदाता बीजेपी को अपनी जगह जरूर दिखाएंगे। हम आपसे एक बार फिर आग्रह करते हैं कि हमारी पार्टी के स्थायी समिति सदस्यों द्वारा की गई विशेष आम सभा की मांगों पर गंभीरता से विचार करें और इस बैठक को तुरंत बुलाएं ताकि शहर के लोगों को तथ्यों का पता चल सके।
इस बैठक में उन बीजेपी पदाधिकारियों के असली चेहरे, जिन्होंने कुत्तों की नसबंदी में करोड़ों रुपए, कोविड की खरीद में करोड़ों रुपए, शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के मामले, टेंडर प्रक्रिया में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार किये गए हैं। पर्यावरण विभाग के घोटालों को लोगों के सामने लाने की जरूरत है। चुनाव प्रमुख और मुख्य प्रवक्ता योगेश बहल ने भी चेतावनी दी है कि यदि हमारे सदस्यों की मांगों पर विचार करते हुए आम सभा की बैठक नहीं बुलाई जाती हैं, तो हमें महानगरपालिका के सामने तीव्र आंदोलन करना होगा।