उद्धव ठाकरे (pic credit; social media)
Maharashtra News: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रहे आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नोटिस जारी किया है। आयोग ने ठाकरे को आदेश दिया है कि वे वह पत्र प्रस्तुत करें, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने जनवरी 2020 में उन्हें सौंपा था। यह दस्तावेज आयोग के समक्ष 22 सितंबर तक जमा करना होगा।
वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष एड. प्रकाश आंबेडकर ने आयोग से मांग की थी कि शरद पवार द्वारा लिखे गए पत्र को प्रस्तुत किया जाए। जानकारी के अनुसार, पवार ने 24 जनवरी 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कथित तौर पर कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की हिंसा में संलिप्तता का उल्लेख किया गया था और दंगों की एसआईटी जांच की मांग की गई थी।
आंबेडकर के वकील एड. किरण कदम ने आयोग से शरद पवार को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था। इसके बाद आयोग ने पवार को नोटिस भेजा। हालांकि, पवार के वकील ने आयोग को लिखित में जवाब दिया कि उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
शरद पवार की ओर से दस्तावेज उपलब्ध न कराए जाने के बाद एड. कदम ने आयोग से कहा कि यदि वह पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास हो, तो उन्हें इसे पेश करने के लिए कहा जाए। इस पर आयोग ने एड. आंबेडकर की मांग को स्वीकार करते हुए उद्धव ठाकरे को नोटिस जारी कर दिया। आयोग ने साफ किया है कि 22 सितंबर तक यह पत्र या संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे।
भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच पहले से ही राजनीतिक रंग ले चुकी है। अब उद्धव ठाकरे को जारी हुआ यह नोटिस न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक रूप से भी नए विवाद को जन्म दे सकता है।