पिंपरी-चिंचवड़ में भाजपा को झटका (pic credit; social media)
Maharashtra News: महाराष्ट्र की राजनीति में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। भले ही महायुति के तीन घटक दल- भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजीत पवार गुट)—लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एकजुट दिख रहे हों, लेकिन स्थानीय स्तर पर तस्वीर बिल्कुल अलग है। पिंपरी-चिंचवड़ में राष्ट्रवादी और शिवसेना एकजुट होकर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे हैं, जिससे भाजपा की राह कठिन हो सकती है।
2017 में हुए मनपा चुनावों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रवादी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उस समय भाजपा ने अकेले दम पर बहुमत हासिल कर अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं। यदि राष्ट्रवादी और शिवसेना साथ आते हैं, तो भाजपा की सीटें घट सकती हैं और उसका गढ़ कमजोर पड़ सकता है।
स्थानीय राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह गठबंधन भले ही महायुति का हिस्सा हो, लेकिन इससे अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष यानी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) को मजबूती मिलेगी। पिंपरी-चिंचवड़ न केवल औद्योगिक क्षेत्र है बल्कि बड़ी आबादी वाला शहरी इलाका भी है, जहां राष्ट्रवादी और शिवसेना दोनों का अच्छा खासा जनाधार है।
सूत्रों के अनुसार, दोनों दल गुप्त बैठकों और सर्वे के जरिए अपनी ताकत का आकलन कर रहे हैं। यह तय किया जा रहा है कि किस सीट पर एकजुट होकर मैदान में उतरना फायदेमंद होगा। वहीं भाजपा भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है, ताकि 2017 जैसी सफलता दोहराई जा सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर राष्ट्रवादी और शिवसेना का गठबंधन पक्का हो गया तो भाजपा के लिए न सिर्फ पिंपरी-चिंचवड़ बल्कि अन्य शहरी इलाकों में भी बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। ऐसे में आगामी स्थानीय चुनाव बेहद दिलचस्प और कड़े मुकाबले वाले साबित होंगे।