रेलवे टिकट (सौजन्य-नवभारत)
Pune-Nagpur Train Route: राज्य के 2 महानगरों पुणे और नागपुर के बीच दिवाली से 2 महीने पहले ही ट्रेन टिकटों का संकट गहरा गया है। इस वर्ष दिवाली मंगलवार, 21 अक्टूबर को मनाई जानी है। ऐसे में शुक्रवार, 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक पुणे से नागपुर की ओर और 23 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक नागपुर से पुणे की ओर सभी प्रमुख गाड़ियां ‘रिग्रेट’ यानी पूरी तरह पैक हो चुकी हैं। ऐसे में सामान्य यात्रियों के लिए ट्रेन से सफर करना लगभग असंभव हो चुका है।
हाल ही में 10 अगस्त का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन की गई ट्रेन 26101/02 पुणे-नागपुर (अजनी)-पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस 60 दिन यानी 2 महीने पहले बुकिंग शुरू होते ही पैक हो चुकी है। हर दिन ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है। इस रूट पर फिलहाल 8 कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रेस संचालित हो रही है। ट्रेन शुरू होते ही इसकी सीटें पूरी तरह भर जाती हैं और लंबी वेटिंग लिस्ट लग जाती है।
इससे साफ है कि इस रूट पर ट्रेन टिकटों की इतनी मांग है कि वंदे भारत जैसी महंगे किराये वाली ट्रेन भी फुल हो जाती है। यह स्थिति बता रही है कि इस रूट पर 8 के बजाय 16 कोच वाली वंदे भारत यहां सफलतापूर्वक दौड़ सकती है। सवाल यह उठता है कि जब मुंबई-मडगांव-मुंबई वंदे भारत में त्योहारी सीजन को देखते हुए अतिरिक्त कोच जोड़े जा सकते हैं तो नागपुर-पुणे वंदे भारत के कोच क्यों नहीं बढ़ाए जा रहे?
उल्लेखनीय है कि दिवाली से ट्रेनों में बुकिंग की ये स्थिति होने के बावजूद अभी तक मध्य रेल जोन द्वारा इन दोनों शहरों के बीच स्पेशल ट्रेन की घोषणा नहीं की है। देखने में आया है कि रेल प्रशासन हर बार त्योहारों पर स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा तो करता है लेकिन इनकी टाइमिंग अक्सर यात्रियों की सहूलियत के हिसाब से नहीं होती।
कई बार ट्रेनें ऐसी तारीखों में चलाई जाती हैं जब उनकी वास्तविक जरूरत नहीं होती, जबकि जिन दिनों पर टिकटों की मारामारी रहती है उन दिनों विशेष गाड़ियां उपलब्ध नहीं होतीं। यात्रियों का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों को सिर्फ आंकड़ा पूरा करने के लिए नहीं बल्कि जनसुविधा को ध्यान में रखकर चलाया जाना चाहिए।
त्योहारी सीजन में छात्र, नौकरीपेशा लोग, छोटे व्यापारी और परिवार सहित यात्रा करने वाले यात्रियों को समय पर ट्रेन न मिलने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मजबूरी में कई लोग हवाई जहाज या निजी बसों का सहारा लेते हैं, जहां किराया कई गुना अधिक होता है।
जैसे ही टिकटें खिड़की पर उपलब्ध होती हैं, दलाल सक्रिय हो जाते हैं। त्योहारों पर यात्रियों को टिकट प्रीमियम दाम पर बेचने का खेल तेज हो जाता है। इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है। यदि रेलवे समय रहते पर्याप्त कोच या स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था करे तो इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।
खास बात है कि एक ओर पुणे और नागपुर रूट पर जहां ट्रेनों में बुकिंग बंद हो चुकी है। दूसरी ओर बस संचालकों ने मौके का फायदा उठाते हुए किराया आसमान से ऊंचा कर दिया है। वर्तमान में ऑनलाइन बुकिंग जांचने पर दोनों शहरों के बीच बस किराया 720 से 1,200 रुपये के बीच है।
वहीं अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से चौथे सप्ताह के बीच किराया 3,200 से 5,000 रुपये से अधिक तक पहुंचाया जा चुका है। साफ है कि समय गुजरने के साथ बस किराये में और भारी उछाल लाया जायेगा।
यह भी पढ़ें – विदर्भ का पालक नहीं बनना चाहते मंत्री, पद लेने से कर दिया इनकार, इन जिलों में नहीं सुलझ रहा विवाद