
(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
पुणे : राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु के 80 लाख नागरिकों के लिए बीसीजी टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। बीसीजी का टीका टीबी की रोकथाम में कारगर है। प्रदेश में अब तक 5 लाख वयस्कों यानी की कुल पात्र आबादी के 15 प्रतिशत को टीका लगाया जा चुका है। बता दें कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय टीबी रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक पूरे भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इसी के तहत राज्य के सभी जिलों और नगरपालिका में यह टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
आमतौर पर बीसीजी का टीका छोटे बच्चों को दिया जाता है। हाल ही में किए गए कुछ परीक्षणों में यह पता चला है कि यह टीका वयस्कों में भी काम करता है और टीबी सहित अन्य बीमारियों के खिलाफ भी प्रभावी है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने अब पूरे राज्य के पात्र नागरिकों को टीका लगाने के लिए यह अभियान चलाया है।
यह टीकाकरण अभियान सितंबर से ही सभी जिलों में शुरू कर दिया गया। यह देखने के लिए प्रत्येक जिले में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया गया कि कितनी आबादी टीकाकरण के लिए पात्र है। इसके अनुसार इन्हें टीबी-विन पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। यह टीका केवल उन्हीं लोगों को लगाया जाएगा जिन्होंने टीकाकरण के लिए निजी अनुमति और सहमति दी है। जिन लोगों को टीका लगाया गया है, उनका अगले 33 महीनों तक व्यक्तिगत फॉलोअप भी किया जाएगा। राज्य में किए गए सर्वे में बीसीजी टीकाकरण के लिए पात्र जनसंख्या 79 लाख 12 हजार पाई गई। उनमें से 60 फीसदी यानी 37 लाख नागरिकों ने टीकाकरण की इजाजत भी दे दी है। जिन लोगों को टीका लगाया गया है उनका पोर्टल पर पंजीकरण किया जाएगा।
टीकाकरण के लिए ऐसे लोग अपात्र होंगे जो अठारह वर्ष से कम आयु के हैं, जिन्होंने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया है, जो एचआईवी के पूर्व इतिहास वाले हैं, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएं और जिनका पिछले तीन महीनों में रक्त आधान हुआ है।
बीसीजी का टीका किसी व्यक्ति को टीबी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से संक्रमित होने से नहीं रोकता है, लेकिन यह बीमारी के विकास को रोकता है। इसे खास तौर पर बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिए बनाया गया है। यह छोटे बच्चों में गंभीर टीबी की रोकथाम में बहुत प्रभावी है और इसे जन्म से ही दिया जा सकता है। हालांकि अब शोध के बाद वयस्कों को भी उनकी मर्जी से बीसीजी का टीका लगाया जा रहा है।






