अजित पवार (सौजन्य-एक्स)
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि 10 लाख रुपये की अग्रिम राशि का भुगतान न किए जाने पर अस्पताल में भर्ती न किए जाने के कारण एक गर्भवती महिला की मौत के मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को दंडित किया जाएगा। अजित पवार ने कहा कि घटना की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
यह कथित घटना दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में 28 मार्च को हुई थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अमित गोरखे के निजी सहायक की पत्नी तनीषा भिसे की दूसरे अस्पताल में जुड़वां लड़कियों को जन्म देने के बाद मौत हो गई थी। पुणे जिले के संरक्षक मंत्री पवार ने एक बयान में कहा, ‘‘विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक समिति द्वारा घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं। मैंने जिलाधिकारी से बात की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जांच में तेजी लाई जाए और यह पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से की जाए।”
उन्होंने बताया कि अस्पताल ने इस घटना के संबंध में अपना बयान दर्ज करवा दिया है और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। अजित पवार ने कहा, ‘‘सरकार इस घटना से आक्रोशित लोगों की भावनाओं को समझती है और दोषियों को कानून के अनुसार सजा दी जाएगी। नागरिकों को संयम बरतना चाहिए और सरकार का सहयोग करना चाहिए।”
मंत्री और भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने घटना का गंभीरता से संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘बहुत बड़ी गलती हुई है और ऐसी गलती किसी भी तरह से माफी के लायक नहीं है। राज्य सरकार जरूरी कार्रवाई करेगी। हम किसी को नहीं छोड़ेंगे। यह बात तो छोड़ ही दीजिए कि मरीज किसी राजनीतिक नेता के पीए से संबंधित था या मुझसे, किसी भी गरीब मरीज को इलाज से वंचित करना अस्वीकार्य है। उचित जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।”
बावनकुले ने कहा, ‘‘अस्पताल को राज्य सरकार से कई सुविधाएं मिली हैं। हाल ही में इसे पार्किंग की जगह आवंटित की गई है। सरकार अस्पतालों का समर्थन करती है, लेकिन अगर चिकित्सक या कर्मचारी इस तरह का व्यवहार करते हैं तो हम सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर्स के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि संबंधित डॉक्टर या अस्पताल के खिलाफ पहले की कोई शिकायत होगी तो इसकी भी जांच की जाएगी।
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इस बीच, पुणे के जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने बताया कि उन्होंने जिला सिविल सर्जन को एक रिपोर्ट तैयार करके दो दिन में सौंपने का निर्देश दिया है और इसके ही आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। डूडी ने कहा, ‘‘सिविल सर्जन को परिवार और अस्पताल का पक्ष जानने के लिए कहा गया है ताकि निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। अन्य मरीजों से भी बात की जाएगी ताकि अस्पताल के समग्र कामकाज का पता लगाया जा सके। रिपोर्ट दो दिन में प्रस्तुत की जानी चाहिए।” (एजेंसी इनपुट के साथ)