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नवाब मलिक को मिलेगी राहत, समीर वानखेड़े पर जातीगत टिप्पणी मामले में पुलिस दाखिल करेगी क्लोजर रिपोर्ट

एनसीबी के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की ओर से एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ दायर किए गए अत्याचार अधिनियम के मामले में मुंबई पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का फैसला किया है...

  • By आकाश मसने
Updated On: Jan 21, 2025 | 05:08 PM

नवाब मलिक और समीर वानखेड़े (सोर्स: सोशल मीडिया)

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मुंबई: एनसीबी के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता नवाब मलिक के बीच चल रहे जातीगत टिप्पणी वाले विवाद में पुलिस ने मलिक को राहत दी है। समीर वानखेड़े ने 2022 में उपनगरीय गोरेगांव पुलिस में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मलिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

मुंबई पुलिस ने बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (NCB) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता नवाब मलिक के खिलाफ दायर किए गए अत्याचार अधिनियम के मामले की जांच की है और सबूतों के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का फैसला किया है।

मामला सीबीआई को सौंपने का किया था अनुरोध

पिछले वर्ष आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े ने अपने वकील राजीव चव्हाण के माध्यम से उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। साथ ही उन्होंने मामला सीबीआई को सौंपे जाने का अनुरोध किया था।

अतिरिक्त लोक अभियोजक एसएस कौशिक ने 14 जनवरी को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ को सूचित किया कि पुलिस ने मामले की जांच की है और ‘सी समरी रिपोर्ट’ दाखिल करने का फैसला किया है।

क्या होती है ‘सी-समरी रिपोर्ट’

‘सी-समरी रिपोर्ट’ उन मामलों में दायर की जाती है जहां जांच के बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि कोई सबूत नहीं है और मामला न तो सच है और न ही झूठ। एक बार जब ऐसी रिपोर्ट संबंधित निचली अदालत के समक्ष दायर कर दी जाती है तो मामले में शिकायतकर्ता उसे चुनौती दे सकता है और सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।

न्यायालय ने याचिका का निपटारा किया

डीजीटीएस में अतिरिक्त आयुक्त और महार अनुसूचित जाति के सदस्य वानखेड़े ने मामले को सीबीआई को सौंपे जाने का अनुरोध किया था। पीठ ने 14 जनवरी के अपने आदेश में याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि पुलिस के बयान के अनुसार इसमें विचार करने योग्य कुछ भी नहीं है। इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई। हालांकि, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता समीर वानखेड़े कानून के अनुसार उचित मंच के समक्ष उचित कदम उठा सकते हैं।

कोर्ट ने पुलिस को जांच करने का निर्देश दिया था

बता दें कि दिसंबर 2024 में उच्च न्यायालय ने पुलिस को मामले की जांच करने और इसे निष्कर्ष तक पहुंचाने का निर्देश दिया था। पुलिस ने तब कोर्ट को बताया था कि मामले में दो और धाराएं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1) क्यू और आर, शामिल की गई हैं।

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समीर वानखेड़े ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि एनसीपी नेता नवाब मलिक ने साक्षात्कारों के दौरान और अपने सोशल मीडिया पर वानखेड़े और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उनकी जाति के आधार पर अपमानजनक टिप्पणियां कीं।

क्या है वानखेड़े और मलिक के बीच विवाद

आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े और नवाब मलिक के बीच तब से विवाद है जब से एनसीबी ने 2021 में मलिक के दामाद समीर खान को मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया था। वानखेड़े ने आरोप लगाया कि खान की गिरफ्तारी के बाद नवाब मलिक ने सोशल मीडिया और टेलीविजन पर उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने और अपमानित करने के लिए लगातार अभियान चलाया, उनकी जाति को निशाना बनाया और उनके जाति प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Police to file closure report in atrocities act case against nawab malik

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Published On: Jan 21, 2025 | 05:08 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Nawab Malik
  • Sameer Wankhede

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