पालघर सीट का इतिहास
मुंबई: पालघर विधानसभा सीट महाराष्ट्र की 288 सीटों में से एक है और यह शिवसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण सीट है। लेकिन शिवसेना में विभाजन के बाद यह सीट किसके खाते में जाती है यह देखना वाकई दिलचस्प होगा। अविभाजित शिवसेना की पकड़ इस सीट पर बेहद मजबूत थी, यह अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो बार के चुनाव से शिवसेना ही यहां जीत रही है।
इस बार वह हैट्रिक की कोशिश कर सकती थी लेकिन शिवसेना पार्टी का खुद का समीकरण भी इस समय पूरी तरह से बदला हुआ है। ऐसे में इस बार यह सीट किसके खाते में जाती है यह देखना वाकई दिलचस्प होगा। इस बार यहां लड़ाई शिवसेना बनाम शिवसेना देखने को मिल सकती है।
पालघर सीट का इतिहास
पालघर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और शिवसेना के बीच में ही कांटे की लड़ाई दिख रही है। पहले यह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन यहां शिवसेना ने सेंध लगा दी। और 1990 से लेकर 2004 तक अपना दबदबा कायम रखा, फिर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए शिवसेना के गढ़ में सेंध लगाई। और 2009 का चुनाव कांग्रेस ने जीता लेकिन 2014 में फिर उलटफेर हुआ शिवसेना ने इस सीट पर वापसी की, 2019 में भी सेना ने ही जीत हासिल की और अब शिवसेना हैट्रिक के प्रयास में नजर आएगी।
कब किस पार्टी ने मारी बाजी
2019: श्रीनिवास चिंतामन वंगा, एसएचएस
2014: घोड़ कृष्ण अर्जुन, एसएचएस
2009: गावित राजेंद्र ढेड्या, कांग्रेस
2004: मनीषा मनोहर निमकर, एसएचएस
1999: मनीषा मनोहर निमकर, एसएचएस
1995: निमकर मनीषा मनोहर, एसएचएस
1990: अविनाश बलिराम सुतार, एसएचएस
1985: वलवी विष्णु गोपाल, कांग्रेस
1980: वलवी विष्णु गोपाल, कांग्रेस(आई)
1978: अर्जुन काकड्या शिंगाडे, जेएनपी
1972: विनायक सीताराम पाटिल, कांग्रेस
पालघर विधानसभा सीट का जाति समीकरण
पालघर विधानसभा सीट रिजर्व्ड सीट है। यह एसटी के लिए आरक्षित सीट है। इससे यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि यहां अनुसूचित जनजाति बहुल जनसंख्या है। यह कुल मतदाताओं की संख्या 2,80,000 के आसपास है। 71% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। वहीं 28% के लगभग लोग शहरी इलाकों में रहते हैं। मुस्लिम आबादी यहां पर 6.2% है। वहीं अनुसूचित जाति के 7,162 लोग हैं, जो 2.5% के आसपास है। अनुसूचित जनजाति की आबादी 36.55% है। इसीलिए इसे अनुसूचित जनजाति बहुलिका कहा जाता है जो उम्मीदवार इस समुदाय को रिझाने में कामयाब होता है उसकी जीत तय मानी जाती है।