निर्गुणा बांध की दीवारों से पानी का रिसाव (pic credit; social media)
Akola News: पातुर तालुका के चोंढी (निर्गुणा) क्षेत्र में स्थित बांध की दीवारों से पानी रिसने की घटना ने स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। यह बांध वर्ष 1975 में निर्मित हुआ था और हजारों एकड़ कृषि भूमि तथा पेयजल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। 18 अगस्त को भारी बारिश के दौरान बांध की दीवारों में चार स्थानों पर दरारें दिखाई दीं, जिससे पानी का रिसाव शुरू हो गया। इसके बाद 19 अगस्त को सिंचाई विभाग ने स्थल का निरीक्षण कर तत्काल मरम्मत कार्य शुरू किया।
जिले में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बांध की जल संधारण क्षमता से अधिक पानी जमा हो गया था। पानी के दबाव के चलते दीवारों में रिसाव हुआ। प्रशासन ने रिसाव रोकने के लिए सीमेंट और रेत का उपयोग कर मरम्मत की, लेकिन बारिश के चलते रिसाव पूरी तरह नहीं रुक पाया। इस स्थिति को देखते हुए 18 अगस्त की रात को आलेगांव क्षेत्र के लगभग 20–25 परिवारों ने अपने घर छोड़कर पातुर और आसपास के रिश्तेदारों के यहां शरण ली। अगले दिन प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में होने की जानकारी दी, जिसके बाद नागरिक वापस लौटे।
18 अगस्त की अतिवृष्टि से सोयाबीन, कपास, मक्का जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कई किसानों के मोटर पंप, पाइप और अन्य कृषि उपकरण भी बाढ़ में बह गए हैं. इस नुकसान का आकलन करने के लिए तहसील प्रशासन ने 30 गांवों में पंचनामा करने के आदेश दिए हैं।
तहसीलदार तथा तहसील दंडाधिकारी, पातुर ने आदेश जारी कर आलेगांव, बाभुलगांव, सस्ती और पातुर मंडल के 30 से अधिक गांवों में संयुक्त निरीक्षण के निर्देश दिए हैं। मंडल अधिकारी, ग्राम राजस्व अधिकारी, ग्रामसेवक और कृषि सहायकों की टीमों द्वारा पंचनामे किए जा रहे हैं। प्रपत्र अ, ब, क, ड के साथ खातेदारों की सूची और फोटो सहित विस्तृत रिपोर्ट तहसील कार्यालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है।
पातुर तहसील के चोंढी (निर्गुणा) प्रकल्प को लेकर नागरिकों में चिंता का माहौल है. इस बांध की लंबाई लगभग 1,800 मीटर है और इसकी जलसंग्रहण क्षमता करीब 32,000 क्यूबिक मीटर है. हाल ही में दीवारों में दरारें और पानी का रिसाव होने की घटना के बाद प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तात्कालिक निरीक्षण और मरम्मत कार्य शुरू किया। इस बीच, तहसील प्रशासन ने जनता से अपील की है कि कोई भी अफवाह न फैलाएं, क्योंकि स्थिति नियंत्रण में है और बांध सुरक्षित है। साथ ही, अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों के नुकसान का आकलन करने के लिए 30 गांवों में पंचनामा करने के आदेश जारी किए गए हैं। संबंधित अधिकारी और कर्मचारी संयुक्त रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, ताकि शासन स्तर पर सहायता प्रस्तावित की जा सके।
निर्गुणा प्रकल्प कपिल तरोले का कहना है कि अत्यधिक पानी भर जाने और लगातार बारिश के कारण बांध में क्षमता से अधिक पानी जमा हो गया था, जिससे दीवारों में चार स्थानों पर रिसाव हुआ. संबंधित स्थानों पर तत्काल तकनीकी उपायों द्वारा मरम्मत की गई है। वर्तमान में बांध पूरी तरह सुरक्षित है और स्थिति नियंत्रण में है. नागरिकों को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।