महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (pic credit; social media)
Maharashtra Public Service Commission: महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग द्वारा सीधी सेवा के तहत निकाली जा रही भर्तियों में पदों की संख्या कम होने के कारण राज्य सरकार पर सीधी भर्ती की उपेक्षा करने का आरोप लग रहा है। प्रतियोगी परीक्षार्थी संगठनों ने इस पर तीव्र नाराजगी व्यक्त की है।
परीक्षार्थियों का कहना है कि 2023 में, ग्रुप ‘C’ के तहत 7,609 से अधिक पदों का विज्ञापन आया था और 2024 में 9,618 पद शामिल थे। जबकि इस वर्ष (2025) ग्रुप ‘C’ के लिए केवल 1,986 पद विज्ञापित किए गए हैं, जो पिछले 2 वर्षों की तुलना में काफी कम है।
MPSC स्टूडेंट राइट के महेश बड़े ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य के सभी लिपिक संवर्ग के पदों को MPSC के दायरे में लाए जाने के बावजूद, लगातार दो वर्षों से कम पदों का विज्ञापन प्रकाशित हो रहा है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि राज्य सरकार द्वारा बाटी, सारथी, महाज्योति, टीआरआई जैसी संस्थाओं के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण पर लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक का फंड खर्च किया जाता है। इसके बावजूद भर्तियों में पदों की कमी चिंता का विषय है।
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प्रतियोगी छात्रों का आरोप है कि सरकार एक तरफ तो प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपये खर्च करके दिखावा करती है, लेकिन वास्तविक नौकरियों की संख्या लगातार घटा रही है। यह नीति युवाओं के साथ धोखा है।
संगठन के प्रवक्ता का कहना है कि जब नौकरियां ही नहीं हैं तो प्रशिक्षण का क्या फायदा। सरकार को पहले पदों की संख्या बढ़ानी चाहिए, फिर प्रशिक्षण की बात करनी चाहिए।
कई युवाओं ने कहा कि वे वर्षों से MPSC की तैयारी कर रहे हैं लेकिन पदों की कमी से उनके सपने टूट रहे हैं। प्रतियोगी छात्रों ने सरकार से मांग की है कि पदों की संख्या बढ़ाई जाए और सीधी भर्ती की नीति में पारदर्शिता लाई जाए। इस समस्या के समाधान के लिए युवा संगठनों ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम भी दिया है।