त्र्यंबकेश्वर का कुशावर्त कुंड (फोटो नवभारत)
Nashik Trimbakeshwar Water Purification Project: नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर में गोदावरी नदी प्रत्यक्ष रूप से प्रवाहित न होकर ब्रह्मगिरी पर्वत पर उद्गम के पश्चात कुशावर्त तीर्थ (कुंड) में अवतरित होती है। इसी कारण यहां कुंभ स्नान और वर्षभर की विभिन्न पर्वणियों पर इसी कुंड में स्नान करने का विधान है। एक साथ हजारों श्रद्धालुओं द्वारा स्नान करने से जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए कुंभमेला प्राधिकरण ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
पिछले सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान सरकार ने एक लाख लीटर प्रति घंटे की क्षमता वाला जल शुद्धीकरण प्रकल्प स्थापित किया था। हालांकि, सिंहस्थ के बाद बिजली बिल का भुगतान करने में नगर पालिका की असमर्थता के कारण यह प्रकल्प बंद हो गया। इसके परिणामस्वरूप, श्रद्धालुओं के पास अशुद्ध जल में स्नान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। आगामी सिंहस्थ को देखते हुए इस बार प्राधिकरण ने निजी क्षेत्र की भागीदारी से समाधान निकाला है।
कुंभमेला प्राधिकरण के आयुक्त शेखर सिंह के अनुसार, ‘वीआईएल’ (VIL) कंपनी सीएसआर (CSR) पहल के तहत कुशावर्त कुंड के कायाकल्प और शुद्धीकरण का कार्य करेगी। वर्तमान में जहां पुराना तंत्र 9 घंटे में पानी साफ करता था, वहीं प्रस्तावित 300 घन मीटर प्रति घंटे (3 लाख लीटर प्रति घंटा) की क्षमता वाला नया संयंत्र अब मात्र 3 घंटे में पूरे कुंड को स्वच्छ कर देगा। इससे राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के मानकों के अनुरूप जल की गुणवत्ता बनाए रखी जा सकेगी।
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इस परियोजना की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि अगले 25 वर्षों तक इसके संचालन और मरम्मत की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की होगी। 15 दिसंबर 2025 को कंपनी ने इसका तकनीकी विवरण प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया था। इस कार्य की प्रगति की समीक्षा के लिए 26 दिसंबर को पुनः एक बैठक आयोजित की गई है।
आयुक्त शेखर सिंह ने बताया कि इस प्रकल्प का कार्य जून 2026 तक पूर्ण होने की उम्मीद है। इससे महाशिवरात्रि, श्रावण मास और निवृत्तिनाथ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को निरंतर शुद्ध और स्नान योग्य जल उपलब्ध होगा।