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Nashik: मंत्रालय से ही हो रहे फैसले, स्वच्छ भारत मिशन में अटका नासिक, केंद्रीकरण बना रोड़ा

Nashik Swachh Bharat Mission: स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-II के क्रियान्वयन में केंद्रीकरण बड़ी बाधा बन रहा है। मंत्रालय स्तर पर फैसलों के कारण योजनाओं की गुणवत्ता और समयसीमा प्रभावित हो रही है।

  • By अंकिता पटेल
Updated On: Dec 21, 2025 | 09:11 AM

प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )

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Nashik SBM Gramin Phase 2 : नासिक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-II के तहत केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन में बड़ी बाधा सामने आ रही है। नियमों के अनुसार, नीतियां मंत्रालय स्तर पर बनती हैं और उन्हें क्षेत्रीय स्तर पर लागू किया जाता है। लेकिन वर्तमान में सप्लायरों की नियुक्ति से लेकर सीवेज मैनेजमेंट के टेंडर तक, सभी फैसले मंत्रालय स्तर पर लिए जा रहे हैं। इस ‘केंद्रीकरण’ के कारण योजनाओं की गुणवत्ता और समय सीमा पर बुरा असर पड़ रहा है।

स्थानीय नियंत्रण खत्म, जवाबदेही शून्य

जब फैसले राज्य और मंत्रालय स्तर पर लिए जाते हैं, तो कॉन्ट्रैक्टर स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति जवाबदेह नहीं रहते। वे स्थानीय सिस्टम को गारंटी देने को तैयार नहीं होते, जिससे काम की क्वालिटी गिर जाती है। अधिकारियों का कहना है कि मिनिस्टर लेवल से दखल होने के कारण क्षेत्रीय स्तर के अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं रहते। नतीजा यह है कि केंद्र की योजनाएं कागजों पर तो दिखती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर दम तोड़ रही हैं।

शौचालय से आगे का सफर अधर में

2015 में शुरू हुए स्वच्छ भारत अभियान के पहले चरण में 100 प्रतिशत शौचालय बनाने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था। इसके बाद 2020 से फेज-II शुरू हुआ, जिसमें शामिल है: सीवेज मैनेजमेंट और प्लास्टिक मुक्ति।

यह भी पढ़ें:-Nashik: नासिक में चुनावी रणभूमि तैयार, किसकी होगी जीत? टिकट के लिए नेताओं की धड़कनें तेज

गीले कचरे से बायोगैस बनाने के प्रोजेक्ट (गोबरधन)। सीवेज ट्रीटमेंट सेंटर का निर्माण। ग्राम पंचायतों में कचरा संग्रहण के लिए घंटी वाली बसे। केंद्र ने हर जिले में पायलट बेसिस पर 50 लाख रुपये की लागत से ‘गोबरधन’ प्रोजेक्ट शुरू करने के निर्देश दिए थे।

 

Nashik swachh bharat mission gramin phase 2 problem

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Published On: Dec 21, 2025 | 08:24 AM

Topics:  

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