नासिक मनपा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nashik News In Hindi: राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग और अब नासिक महानगरपालिका पर भी कुंभमेला प्रोजेक्ट में ‘क्लस्टर टेंडरिंग’ (एकल निविदा) का आरोप लगा है। आरोप है कि लगभग 1,500 करोड़ के कार्यों को एक ही कंपनी को देने का प्रयास किया जा रहा है।
इस कदम से कुंभमेला के विकास कार्यों में स्थानीय ठेकेदारों की भागीदारी पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। कुंभमेले के लिए राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग ने लगभग 2270 करोड़ के सड़क निर्माण कार्यों की निविदा जारी की थी। इस प्रक्रिया में 111 ठेकेदारों ने भाग लिया, लेकिन कुछ खास कंपनियों को काम देने के लिए ‘रिंग’ (आपसी मिलीभगत) बनाए जाने का आरोप लगा था।
यह बात सामने आई थी कि जिन कंपनियों का टर्नओवर हजार करोड़ रुपये से अधिक था, उन्हें भी 100 करोड़ के कार्यों के लिए अयोग्य ठहराया गया। इसी के बाद मंत्री छगन भुजबल ने मामले की जांच के आदेश दिए। अब जब इस मामले की जांच चल रही है, तो महानगरपालिका भी इसी तरह की एकल निविदा जारी कर रही है, जिससे स्थानीय ठेकेदारों की चिंता बढ़ गई है।
‘क्लस्टर टेंडरिंग‘ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कई छोटे-छोटे प्रोजेक्ट को मिलाकर एक बड़ा प्रोजेक्ट बना दिया जाता है। इससे छोटे और स्थानीय ठेकेदार, जो उन छोटे प्रोजेक्ट के लिए योग्य होते हैं, बड़े प्रोजेक्ट के लिए अयोग्य हो जाते हैं। नतीजतन, पूरी काम निविदा प्रक्रिया में सिर्फ एक ही बड़ी कंपनी भाग ले पाती है। इस देढ़ हजार करोड़ के को भी एक ही कंपनी को देने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें ‘ए’ श्रेणी के 23 कार्यों के लिए 1200 करोड़ और ‘बी’ श्रेणी के 29 में से 300 करोड़ के काम शामिल हैं।
इस प्रकार के ‘टेंडर खेल’ से स्थानीय ठेकेदारों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि वे व्यक्तिगत रूप से छोटे और मध्यम स्तर के प्रोजेक्ट करने में पूरी तरह सक्षम हैं, लेकिन कई प्रोजेक्ट को एक साथ जोड़ने से उनकी भागीदारी असंभव हो जाती है। यह प्रक्रिया न केवल प्रतियोगिता को खत्म करती है, बल्कि स्थानीय व्यापार और रोजगार को भी नुकसान पहुंचाती है। ठेकेदारों ने आरोप लगाया है कि यह उनकी जानबूझकर की गई अनदेखी है।
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सार्वजनिक निर्माण विभाग की निविदाओं की तरह, अब नासिक महानगरपलिका के इस कदम की भी जांच की मांग तेज हो गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, उनका कहना है कि जब तक निष्पक्षता सुनिश्वित नहीं हो जाती, तब तक इन निविदाओं को रद्द किया जाना चाहिए। इस पूरे मामले में अब सरकार के अगले कदम पर सबकी नजर है।