नाशिक न्यूज (सौ. डिजाइन फोटो )
Nashik Latest News Update: नाशिक महानगर पालिका चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन महायुति का कुनबा पहले से ही घर के झगड़े में उलझा हुआ है। राज्य सरकार ने चार सदस्यीय मसौदा प्रभाग संरचना जारी की है, जो दिखने में तो 2017 जैसी ही लग रही है, पर असली तस्वीर चुनावी समीकरणों की है। इस मसौदे के बाद पार्टियों के बीच की मिठास हवा हो गई है और गठबंधन के नेताओं ने एक-दूसरे की आंखों में झांकना तक बंद कर दिया है।
सबसे पहले बम फोड़ा शिवसेना के जिला प्रमुख अजय बोरस्ते ने ऐलान कर दिया कि शिवसेना स्वतंत्र रूप से मनपा चुनाव लड़ेगी और ‘शत-प्रतिशत भगवा फहराएगी.’ यानी महायुति की बारात निकलने से पहले ही दूल्हे-दुल्हन का रिश्ता टूटने की नौबत। बोरस्ते ने तंज कसते हुए कहा, ‘शिवसेना प्रभाग संरचना की चिंता नहीं करती। हमारी राजनीति 20% और सामाजिक काम 80% है। अब यह अलग बात है कि चुनावों में ‘सामाजिक काम’ की जगह जातीय समीकरण और टिकटों की गिनती ज्यादा काम आते हैं। उन्होंने कहा कि नाशिक की जनता सबको परख चुकी है और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का जादू पूरे राज्य में सिर चढ़कर बोल रहा है।
बोरस्ते के बयान के बाद माहौल गर्म हो गया, भाजपा और अन्र घटक दल समझ नहीं पा रहे हैं कि ये गठबंधन है या कुश्ती का अखाड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मसौदा प्रभार संरचना से भाजपा और महायुति को लाभ मिल सकता है लेकिन ‘अगर महायुति बचे तो, दरअसल, हर पार्टी अपने नेताओं के आदेश पर ‘जरूरत पड़ी तो अकेले चुनाव लडने’ की तैयारी कर चुकी है। अब ऐसे में गठबंधन का क्या औचित्य रह जाता है? उधर, राकांपा (अजित पवार गुट) के शहराध्यक्ष रंजन ठाकरे ने भी सुर मिलाते हुए कहा कि प्रभाग संरचना का मसौदा संतोषजनक है। लेकिन वरिष्ठों वे आदेशानुसार फैसला होगा, स्वतंत्र चुनाव लड़ने का आदेश मिला, तो हम पूरी तरह तैयार है।
बता दें कि 2017 की यादें भी इस बार चर्चा में हैं। भाजपा ने 122 में से 66 सीटें झटक ली थी. शिवसेना को 35 संतोष करना पड़ा था, जबकि बाकी पार्टियां आंकड़ों में सिमट गई थीं। इस बार भी भाजपा की बूथ से लेकर प्रभाग स्तर तक की तैयारी बताई जा रही है। लेकिन शिवसेना का ‘अकेले लड़ने का दावा भाजपा के आत्मविश्वास में खलल डाल सकता है।
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नाटक में जनता फिलहाल मूकदर्शक है मतदाता सूची का सत्यापन होना बाकी है, आपतियों-सुझावों की सुनवाई भी अभी बाकी है। लेकिन नेताओं की बयानबाजी देखकर लगता है मानो चुनाव कल ही हो. हर पार्टी खुब को ‘असली ताकत’ बताने में जुटी है।