वैदिक शिक्षा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nashik News: नाशिक के आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) कॉलेजों में पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ वैदिक संस्कार की शिक्षा देने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही नया अल्पकालिक रोजगारपरक पाठ्यक्रम वैदिक संस्कार जूनियर असिस्टेंटर शुरू किया जाएगा, जिसे लेकर स्थानीय स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
चूंकि नाशिक कुंभ मेले का केंद्र है, इसलिए दैनिक धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों के लिए हजारों पुजारियों की आवश्यकता होती है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, आईटीआई छात्रों को वैदिक अनुष्ठानों, मंत्रोच्चार, धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-अर्चना का प्रशिक्षण देने के लिए यह पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
इस पहल का उद्देश्य आधुनिक तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का संगम बनाना बताया जा रहा है। हालांकि, नाशिक और त्र्यंबकेश्वर के स्थानीय पुजारियों और त्र्यंबकेश्वर मंदिर के न्यासियों ने इसका कड़ा विरोध किया है।
इस बारे में त्र्यंबकेश्वर मंदिर के ट्रस्टी कैलाश घुले ने कहा कि आगामी कुंभमेले के लिए पुजारी बनने हेतु आईटीआई में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और परंपराओं के विरुद्ध है। कॉलेजों में संस्कृत पढ़ाई जाती है, इसे पेशे का रूप देकर सरकार ने मनमाने तरीके का फैसला किया है? सरकार के इस निर्णय पर कई तरह के सवाल उठाए गए हैं। कैलास घुले ने आगे कहा कि पुरोहिताई पेशे की शिक्षा देकर इस हॉल को सभी के लिए खोला जा रहा है।
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अगर कल को अन्य धर्मों के नागरिक इस शैक्षिक कार्यक्रम में प्रवेश लेने की कोशिश करते हैं, तो क्या आप उन्हें पुजारी बनने की अनुमति देंगे? यह मेरा सरकार से सवाल हैं यह कहते हुए कि सरकार एक गलत अवधारणा पर आधारित शिक्षा प्रणाली शुरू कर रही है, कैलास घुले ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया हैं।