प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nashik News: दिवाली के बाद कभी भी नगर निगम, जिला परिषद और नगर परिषद चुनावों की तारीखों की घोषणा होने के संकेत मिलने के बाद अब राजनीतिक बैठकों में तेजी आ गई है. पिछले कुछ दिनों में कई जगहों पर बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिनमें स्थानीय स्तर पर पार्टी की स्थिति और संपूर्ण रणनीति पर चर्चा हो रही है. इन बैठकों में कार्यकर्ताओं को सक्रिय होकर काम में जुटने का संदेश भी दिया जा रहा है. अधिकांश दलों को स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके चलते जिले में महायुति (भाजपा-शिंदे गट) और महाविकास आघाड़ी (ठाकरे गट, कांग्रेस, राष्ट्रवादी) के बीच मतभेद और टूटफूट की संभावना बढ़ गई है.
नाशिक महानगरपालिका चुनाव में महायुति के तहत भाजपा और शिवसेना (शिंदे गट) प्रमुख दल हैं। भाजपा ने “100 प्लस” का नारा दिया है, जिससे शिवसेना के लिए चुनौती बढ़ने की संभावना है. अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ताकत यहां ज्यादा नहीं मानी जा रही है. इसलिए भाजपा और शिवसेना के बीच सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी होना तय है. यदि समझौता नहीं हुआ, तो दोनों दल स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं, महाविकास आघाड़ी में उद्धव ठाकरे गुट ने मनसे के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शरद पवार गुट की राष्ट्रवादी और कांग्रेस क्या निर्णय लेते हैं, क्योंकि दोनों ही दलों की नाशिक शहर में बहुत अधिक पकड़ नहीं है.
महानगरपालिका की तरह जिला परिषद के चुनावों को लेकर भी सभी की नजरें टिकी हैं। जिले में कुल 71 सीटें हैं. पिछली बार शिवसेना ने 25 सीटें जीतकर बढ़त बनाई थी. उसके बाद राष्ट्रवादी को 18, भाजपा को 15, कांग्रेस को 8, सीपीएम को 3 और 2 अपक्ष उम्मीदवार विजयी हुए थे. उस चुनाव में जिला परिषद अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस ने शिवसेना का समर्थन किया था, जबकि भाजपा और राष्ट्रवादी ने एक साथ हाथ मिलाया था. इस बार हर विधानसभा मतदार क्षेत्र के समीकरण अलग हैं, इसलिए यहां भी महायुति और महाविकास आघाड़ी एकजुट रहें, यह स्थिति स्पष्ट नहीं है.
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जिला परिषद की तरह ही स्थिति नगर परिषद चुनावों में भी दिखाई दे रही है. कई जगह स्थानीय स्तर पर सुविधा और परिस्थिति के अनुसार गठबंधन किए गए हैं. इसलिए इस बार कौन-सा दल किसके साथ गठबंधन करेगा, यह अभी कहना मुश्किल है. कहा जा रहा है कि कुछ जगहों पर भाजपा और ठाकरे गुट में गठबंधन हो सकता है, जबकि कुछ स्थानों पर शिंदे गुट और शरद पवार गुट एक साथ आ सकते हैं. लेकिन यह सब चुनावों की घोषणा के बाद ही स्पष्ट होगा.