नाशिक न्यूज (सौ. डिजाइन फोटो )
Nashik News: शहर में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना (उबाठा) ने एक विशाल ‘जनाक्रोश मार्च’ निकालकर पुलिस, राजनेताओं और जनता का ध्यान आकर्षित किया। इस मोर्चे का उद्देश्य शहर में बढ़ती गुंडागर्दी, नशीले पदार्थों की बिक्री, अवैध धंधे, अवैध साहूकारी, हनी ट्रैप और किसानों की समस्याओं को उजागर करना था। इस मार्च के बाद सत्ताधारी दल अब नींद से जागने का नाटक कर रहे हैं।
सत्ताधारी दलों (भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट, राष्ट्रवादी-अजित पवार गुट) की मानसिकता पर सवाल उठाया गया कि वे केवल सत्ता की कुर्सी के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अगर सत्ताधारी दल खुद ही गुंडों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों को अपनी पार्टी में शामिल करेंगे, तो उनके जागने का दिखावा करने का क्या फायदा?
यह भी स्पष्ट किया गया कि मनसे और उबाठा द्वारा निकाला गया यह मोर्चा पुलिस प्रशासन के खिलाफ नहीं था, क्योंकि शहर में बढ़ती गुंडागर्दी के लिए सीधे तौर पर सत्ताधारी दल जिम्मेदार हैं। सत्ताधारी दलों को पहले अपने घरों को सुधारने की सलाह दी गई, क्योंकि उनके अनुसार ये तीनों पार्टियां अपराधियों से भरी हुई हैं।
भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी (अजित दादा गुट) के कई नेताओं पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं और उन्होंने राष्ट्र-विरोधी शक्तियों से जुड़े लोगों को भी पार्टी में शामिल किया है। हाल ही में शहर में हुई हत्याओं, जबरन वसूली, अपहरण, साहूकारी और हनी ट्रैप के मामलों में सत्ताधारी नेताओं के नाम सामने आए हैं। यह सवाल भी उठाया गया कि जब चुनकर आए हुए जनप्रतिनिधि ही अपने निर्वाचन क्षेत्र को ‘पाकिस्तान’ जैसे शब्दों से अपमानित करते हैं, तो उनके जागने का दिखावा कितना वास्तविक है?
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एक आम नागरिक की भावना है कि सत्ताधारी दल केवल नाटकबाज़ी न करें, बल्कि पहले अपने उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर निकालें, जिनका आपराधिक या राष्ट्र-विरोधी पृष्ठभूमि से संबंध है।