प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स : सोशल मीडिया )
Malegaon Leopard Safari News: मालेगांव तहसील के गालणे-शिंदवाडी-चिंचवे क्षेत्र को तेंदुओं के लिए सुरक्षित ‘लेपर्ड सफारी’ के रूप में विकसित करने की पुरजोर मांग उठी है।सामाजिक कार्यकर्ता निखिल पवार ने मालेगांवकर विधायक संघर्ष समिति की ओर से सहायक वन संरक्षक शेखर तनपुरे के माध्यम से राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा है।
महाराष्ट्र के नाशिक, अहिल्यानगर और पुणे जैसे जिलों में मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष चरम पर है। जंगलों में अवैध कटाई और भोजन-पानी की कमी के कारण तेंदुए आबादी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं। गन्ने के खेतों और झाड़ियों में छिपकर तेंदुए पालतू पशुओं और इंसानों पर हमला कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में खौफ का माहौल है।
वर्तमान में तेंदुओं को पकड़कर पिंजरे में डालना केवल अस्थायी समाधान है; स्थायी समाधान के लिए उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित करना अनिवार्य है। मालेगांव तहसील में लगभग 33 हजार हेक्टेयर वन भूमि है, लेकिन संरक्षित आवास न होने के कारण वन्यजीव भटक रहे हैं।
यदि सरकार इस क्षेत्र को ‘लेपर्ड सफारी’ घोषित करती है, तो यह न केवल वन्यजीवों को सुरक्षा देगा बल्कि नाशिक जिले में पर्यटन का एक नया केंद्र भी बनेगा। इससे स्थानीय युवाओं के लिए गाइड, वाहन चालक और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
मालेगांव और सटाणा वन परिक्षेत्र में तेंदुओं की संख्या काफी अधिक है। इसके अलावा धुले, नंदुरबार और जलगाँव के वन्यजीव भी इसी क्षेत्र से होकर गुजरते हैं। शिंदवाडी को ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ बनाने से तेंदुओं का मानव बस्तियों की ओर पलायन रुकेगा और उनकी प्राकृतिक जीवनशैली सुरक्षित रहेगी।
निखिल पवार के अनुसार, शिंदवाडी और गालणे से चिंचवे तक का मार्ग प्राकृतिक रूप से घना वन क्षेत्र है। यदि इस क्षेत्र को ‘लेपर्ड सफारी’ में बदला जाता है, तो इसके कई फायदे होंगे तारबंदी करने से चराई और वृक्ष कटाई पर रोक लगेगी, जिससे जंगल घना होगा।
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आरक्षित क्षेत्र होने से हिरण, जंगली सूअर के शिकार और गौण खनिजों की चोरी बंद होगी। शिंदवाडी के वन बांधों की गाद हटाकर गहरीकरण करने से वन्यजीवों को सालभर पानी मिलेगा।