येवला नगर परिषद, छगन भुजबल (डिजाइन फोटो)
Yeola Nagar Parishad Election Result: महाराष्ट्र में नगर पंचायत और नगर परिषद के नतीजे आ रहे हैं। नगर परिषद और नगर पंचायत के लिए मतदान प्रक्रिया 2 दिसंबर और 20 दिसंबर को पूरी हुई। इस वर्ष महाराष्ट्र के 36 जिलों में 246 नगर परिषद सीटों के लिए चुनाव हुए हैं। वहीं आज चुनाव नतीजे घोषित किए जा रहे है। अब तक के नतीजों से भाजपा आगे दिख रही है।
बात अगर नासिक जिले की करें तो यहां मंत्री छगन भुजबल ने येवला में अपनी मजबूत पकड़ बरकरार रखी है। येवला को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और मंत्री छगन भुजबल का गढ़ माना जाता है। इसलिए, येवला नगर परिषद में छगन भुजबल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। नासिक की छह नगर परिषदों में कौन जीतेगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। इनमें येवला, सिन्नर, त्र्यंबकेश्वर, भागुर, इगतपुरी और मनमाड नगर परिषदें शामिल हैं।
येवला में मंत्री छगन भुजबल ने अजित पवार गुट को जीत दिलाई है। येवला में एनसीपी-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार राजेंद्र लोनारी ने जीत हासिल की है। लोनारी ने 1100 वोटों से जीत दर्ज की है। इसमें शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार रूपेश दराडे को हार का सामना करना पड़ा। इसके चलते येवला में भाजपा-एनसीपी गठबंधन ने महायुति की लड़ाई जीत ली है।
मंत्री छगन भुजबल पिछले कुछ दिनों से बीमार हैं। स्थानीय निकाय चुनावों से पहले उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद, भुजबल ने वहीं से चुनाव प्रचार और राजनीतिक नीतियों का पूरा जिम्मा संभाला। बीमार होने के कारण छगन भुजबल सीधे चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हो सके। हालांकि, अस्पताल से मार्गदर्शन करके उन्होंने अपनी कूटनीति का परिचय दिया।
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मंत्री भुजबल की बीमारी के चलते समीर भुजबल ने कुशलतापूर्वक चुनाव प्रचार की बागडोर संभाली। पूरे भुजबल परिवार ने बड़े उत्साह से चुनाव प्रचार किया। इसके बाद, छगन भुजबल ने अस्पताल से ही चुनाव प्रचार किया और विजयश्री सीट जीत ली।
येवला में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई थीं। महायुति में दोस्ताना मुकाबला हुआ। भुजबल परिवार ने जीत के लिए अपनी सारी ताकत और प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी थी। छगन भुजबल ने अस्पताल से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को फोन किया था। भाजपा का समर्थन मिलने से भुजबल को और मजबूती मिली। दूसरी ओर, शिंदे शिवसेना समूह के उम्मीदवार नरेंद्र दराडे और किशोर दराडे ने भुजबल का समर्थन करने की पूरी कोशिश की। उन्हें राष्ट्रवादी शरद पवार समूह का भी समर्थन मिला। लेकिन फिर भी, भुजबल ने येवलया में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया।