Jalgaon businessman cyber fraud (pic credit; social media)
Cyber Fraud in Jalgaon: जलगांव के रिंगरोड क्षेत्र में रहने वाले व्यापारी नीलेश हेमराज सराफ को 9 अक्टूबर को एक बड़ी साइबर ठगी का सामना करना पड़ा। उन्हें उनके व्हाट्सऐप नंबर पर ‘कस्टमर सर्विस सपोर्ट’ नामक एक APK भेजा गया। इसे डाउनलोड करते ही उनके बैंक खाते से UPI ट्रांजैक्शन के माध्यम से 4,64,439 रुपये की राशि एकमुश्त निकाल ली गई।
नीलेश सराफ ने बताया कि वह पहले तो नहीं समझ पाए कि यह फर्जी ऐप है। जैसे ही उन्होंने APK डाउनलोड किया, उनका खाता खाली हो गया। उन्होंने तुरंत साइबर पुलिस से संपर्क किया। पुलिस निरीक्षक सतीश गोराडे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जाँच शुरू कर दी।
साइबर पुलिस ने बताया कि यह मामला डिजिटल ठगी का एक आम उदाहरण है, जिसमें अपराधी फर्जी ऐप्स या लिंक भेजकर नागरिकों के बैंक खाते से पैसा निकाल लेते हैं। “हम नागरिकों से अपील करते हैं कि किसी भी अज्ञात स्रोत से आए ऐप या लिंक को कभी डाउनलोड न करें और किसी भी संदिग्ध संदेश पर क्लिक न करें। हमेशा बैंक की आधिकारिक एप्लिकेशन और वेबसाइट का ही उपयोग करें,” निरीक्षक गोराडे ने कहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल ठगी में अपराधी भावनाओं का भी फायदा उठाते हैं। अक्सर वे ऐसा संदेश भेजते हैं जिससे डर या जिज्ञासा पैदा होती है और लोग तुरंत ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। साइबर पुलिस इस तरह के मामलों में लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी देती है।
नीलेश सराफ जैसे कई व्यापारी और नागरिक इस डिजिटल जाल में फंस चुके हैं। पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ साइबर थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामले की जांच में ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड, मोबाइल और IP एड्रेस की मदद से अपराधियों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
यह घटना यह याद दिलाती है कि डिजिटल सुरक्षा के प्रति हमेशा सतर्क रहना कितना जरूरी है। नागरिकों को किसी भी लिंक या ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए। नीलेश सराफ की तरह जल्द ही आप भी साइबर जाल में फंस सकते हैं, इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।