कोकाटे भुजबल सत्ता लड़ाई (pic credit; social media)
Kokate vs Bhujbal Power Struggle: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के लिए नासिक जिले का आगामी जिला परिषद चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। जिले की 18 विधानसभा सीटों में से 7 पर इस पार्टी के विधायक काबिज हैं। कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल, माणिकराव कोकाटे और नरहरी शिरवल जैसे तीन कद्दावर मंत्रियों की उपस्थिति से ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है।
इस बार जिला परिषद अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। खेल मंत्री माणिकराव कोकाटे ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा स्पष्ट कर दी है। वह अपनी बेटी सीमंतिनी कोकाटे को जिला परिषद अध्यक्ष बनाने की तैयारी में है। पिछली बार सीमंतिनी ने सर्वाधिक मतों से चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया था।
मंत्री कोकाटे सिन्नर तहसील के सभी 6 विभागों पर वर्चस्व स्थापित कर बेटी के लिए अध्यक्ष पद पर मजबूत दावा ठोकने की रणनीति बना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर छगन भुजबल भी चुप नहीं बैठे हैं। उनकी योजना कोकाटे की महत्वाकांक्षा पर पानी फेरने की है।
दोनों नेता आपस में भले ही मित्र दिखें, लेकिन राजनीतिक गणित में वे प्रतिद्वंद्वी हैं। भुजबल का मानना है कि केवल कोकाटे परिवार को ही जिला परिषद का नेतृत्व नहीं मिलना चाहिए। उनके समर्थक भी इस बात को लेकर सक्रिय हैं कि अन्य नेताओं को भी मौका मिले।
मंत्री कोकाटे की इस राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पार्टी के उनके कट्टर विरोधी मंत्री छगन भुजबल किस तरह से चुनौती देंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। इस सत्ता संघर्ष का असर पूरी पार्टी पर पड़ना तय है। जिले में अजीत पवार गुट की छवि भी इसी लड़ाई से तय होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह लड़ाई केवल जिला परिषद तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आगामी चुनावों में भी इसका प्रभाव दिखेगा।