नासिक में लगे बैनर (सौजन्य-नवभारत)
Honey Trap Cases: पिछले कुछ दिनों से पूरे महाराष्ट्र में गूंज रहे हनीट्रैप मामले का केंद्र नासिक और ठाणे होने की बात कही जा रही है। इस मामले में कुछ मौजूदा और पूर्व मंत्रियों के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों सहित 72 लोग फंसे होने की खबर है, जिससे नासिक में इस समय तीव्र प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
इस मामले में रोजाना हो रहे नए खुलासों से परेशान नासिक वासियों ने अब इस ‘हनी एन्जॉय’ मामले में शामिल गणमान्य व्यक्तियों के नाम सार्वजनिक करने की मांग करते हुए एक बैनर लगाया है।
यशवंत व्यायामशाला के पास लगाए गए इस बैनर पर हनी (ट्रैप) एन्जॉय मामले में गणमान्य व्यक्तियों के नाम सुनने के लिए नासिकवासी उत्सुक हैं। मनोज अमित और समस्त नासिक वासियों की ओर से ऐसा संदेश लिखा गया है।
अगले साल नासिक में सिंहस्थ कुंभ मेले का ध्वजारोहण होना है। लेकिन हनीट्रैप प्रकरण के कारण नासिक की बदनामी हो रही है, ऐसी भावना नासिक वासियों में है। उनकी मांग है कि इस मामले में गणमान्य व्यक्तियों के नाम उजागर होने से उनका असली चेहरा सामने आएगा और इस मामले का एक बार में ही निपटारा हो जाएगा। नासिक की जनता ने विशेष जांच दल (SIT) से उचित जांच कर इस मामले की तह तक जाने का अनुरोध किया है।
कुछ दिनों पहले नासिक दौरे पर आए एक राजनीतिक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में खुलासा किया था कि राज्य के 72 वरिष्ठ अधिकारी और कुछ पूर्व मंत्री हनीट्रैप में फंस गए हैं। उन्होंने बताया था कि ये घटनाएं नासिक के एक 5 स्टार होटल में हुई थीं। इस मामले में एक महिला द्वारा मुंबई नाका पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के बाद यह प्रकरण सामने आया था। फिलहाल हनीट्रैप मामले की जांच चल रही है और फंसे हुए अधिकारियों और पूर्व मंत्रियों के नाम सरकार द्वारा गोपनीय रखे गए हैं। जांच भी गोपनीय तरीके से चल रही है।
यह भी पढ़ें – ‘ईडी की टेढ़ी पूंछ’, CJI के बयान पर उद्धव ने ED को घेरा, बोले- सरकार गिराने का..
मिली जानकारी के अनुसार, ठाणे अपराध शाखा के पास हनीट्रैप की कुल 3 शिकायतें आई हैं। इन तीनों शिकायतों की पुलिस द्वारा गोपनीय जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि नासिक के एक वरिष्ठ अधिकारी, नवी मुंबई के एक व्यक्ति और ठाणे के एक बड़े व्यक्ति ने ये शिकायतें दर्ज कराई हैं।
इन तीनों शिकायतों में गंभीर प्रकृति के आरोप हैं और उच्च स्तरीय गोपनीय जांच चल रही है। सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ताओं की पहचान सार्वजनिक न हो, ऐसी उनकी इच्छा है, इसलिए अधिकारियों के नाम गोपनीय रखकर जांच की जा रही है। इस मामले की जांच पूरी होकर सच्चाई कब सामने आती है, इस पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं।