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मनमाने ढंग से काम कर रहा स्वास्थ्य विभाग, मरीजों की दवा से ज्यादा जरुरी है जगह

  • By अमन दुबे
Updated On: May 27, 2022 | 03:36 PM

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नाशिक : कोरोना महामारी के दौर में रोगियों (Patients) की ओर ध्यान न देकर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने भूमि खरीदने को ज्यादा प्रधानता दी। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से कराह रहे मरीजों के लिए दवा (Medicine) खरीदने की जगह भूमि (Land) खरीदने को प्रधानता देकर यह सिद्ध कर दिया कि उसे कोरोना के मरीजों से ज्यादा भूमि अधिग्रहण की चिंता है। स्वास्थ्य विभाग की नैतिक जिम्मेदारी यह थी कि उसे दवा खरीदने में तेजी दिखानी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने भूमि खरीदने को वरीयता दी। एक ओर कोरोना महामारी (Corona Epidemic) से जूझ रहे मरीज दवा के लिए परेशान थे। तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग ने 2 करोड़ रुपए की निधि भूमि खरीदने में खर्च की। इस बारे में महानगरपालिका (Municipal) में जोरदार चर्चाएं भी हो रही हैं। 

मरीजों को दवा की जरूरत

स्वास्थ्य विभाग के इस मनमानी से कोरोना मरीजों के परिजनों में भयंकर आक्रोश व्याप्त है। कोरोना के दूसरे और तीसरे चरण में मरीजों को दवा की जरूरत थी, बहुत से मरीजों को बेड नहीं मिल रहा था। कोरोना से त्रस्त मरीजों के परिजन इस बात को लेकर परेशान थे कि मरीज को न बेड मिल पा रहा था और न ही दवा मिल रही थी। स्वास्थ्य विभाग से कहने पर भी कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों को उनकी हालत पर छोड़ दिया और मरीजों के लिए दवा खरीदने की जगह खुद के लिए जमीन खरीदने की ओर ज्यादा ध्यान दिया। 

उल्लेखनीय है कि दवा न मिलने से बहुत से मरीजों की मौत हो गई थी। कोरोना से जिन मरीजों की मौत हुई, उनके परिजनों का कहना है कि अगर समय पर मरीजों को दवा मिल जाता तो उनकी  जान बच सकती थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों की चिंता न करके अपनी चिंता की और दवा खरीदने की जगह जमीन खरीदने को प्रधानता दी।  

Health department working arbitrarily more important place than medicine for patients

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Published On: May 27, 2022 | 03:36 PM

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