मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व उपमुख्यमंत्री अजित पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Tapovan Tree Cutting Controversy: नासिक कुंभ मेले के लिए तपोवन में वृक्षों की कटाई को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को मुंबई में साफ किया कि पेड़ों की कटाई न्यूनतम रखी जाएगी, लेकिन साधु ग्राम निर्माण के लिए यह अपरिहार्य है।
गूगल इमेज का हवाला देते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि 2015-16 की गूगल इमेज देखें तो उस स्थान पर एक भी पेड़ नहीं दिखाई देता। उस समय राज्य सरकार के 50 करोड़ वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत महानगरपालिका ने ये पेड़ लगाए थे। उन्होंने कहा कि पेड़ काटना उचित नहीं है और बड़े पेड़ों को स्थानांतरित किया जाएगा।
सीएम फडणवीस ने स्पष्ट किया कि प्रयागराज में कुंभ 15 हजार हेक्टेयर में आयोजित हुआ था, जबकि नासिक में साधु ग्राम के लिए केवल 350 एकड़ जगह उपलब्ध है। रामबन और साधु ग्राम के अलावा नासिक शहर में कोई अन्य स्थान नहीं है। पेड़ों की घनी आबादी के कारण वर्तमान स्थान पर साधुग्राम निर्माण संभव नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा इस विषय पर राजनीति करना गलत है। कुंभ हमारी प्राचीन और सनातन परंपरा है। यह पर्यावरण से हमारे संबंध को मजबूत करता है। हम क्लीन गोदावरी अभियान चलाएंगे और अनावश्यक वृक्षों की कटाई नहीं होगी।
दूसरे तरफ इस मुद्दे पर महायुति सरकार में गहरे मतभेद देखने को मिल रहे हैं। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे अपनी पार्टी के नेता एवं अभिनेता सयाजी शिंदे के रुख का समर्थन किया है। अजित पवार ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर साझा पोस्ट के जरिए कहा है कि विकास के साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखना समय की जरूरत है। पर्यावरण बचेगा तभी अगली पीढ़ी सुरक्षित रहेगी। सयाजी शिंदे ने पहले चेतावनी दी थी कि तपोवन के पेड़ हमारे माता-पिता हैं। यदि इन पर हमला हुआ तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
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नासिक में 1800 पेड़ों की कटाई की योजना के खिलाफ स्थानीय लोग “तपोवन बचाओ, नासिक बचाओ” अभियान चला रहे हैं। आरोप है कि पीपीपी मॉडल के तहत 220 करोड़ रुपए के टेंडर निकालकर 33 वर्षों के लिए जगह निजी डेवलपर को दी जा रही है।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि कुंभ मेले के लिए जमीन की दिक्कत है। इसलिए बाद में पेड़ फिर से लगाए जाएंगे। आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह लगाएंगे, लेकिन एक भी पेड़ को खत्म नहीं होने दिया जाएगा। कुछ नेता पर्यावरणविद होने का नाटक करके धार्मिक झगड़े पैदा करने या कुंभ मेले को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुंभ मेला अवश्य होगा।