नांदेड़ में आत्महत्या (कंसेप्ट फोटो)
नांदेड़: महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में दो दिन के अंदर दो स्टूडेंट्स ने आत्महत्या कर ली है। जिनकी कहानियां अलग थीं लेकिन कारण एक ‘अत्यधिक मानसिक दबाव’। पहले मामले में, एक 20 वर्षीय नर्सिंग छात्र ने शिक्षकों की प्रताड़ना और असाइनमेंट के बोझ से परेशान होकर गोदावरी नदी में कूदकर जान दे दी। वहीं दूसरी घटना में, 10वीं की एक छात्रा ने अपेक्षा से कम अंक आने पर खुदकुशी कर ली।
नांदेड़ के मेमोरियल स्कूल ऑफ नर्सिंग में तीसरे वर्ष के छात्र पुनीत विनोदराव वाटेकर ने 12 मई को मानसिक दबाव और शिक्षक की प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या की। वह अमरावती जिले के शिरसोली गांव का रहने वाला था और अपनी बहन श्वेता के साथ नांदेड़ के धनगरवाड़ी इलाके में किराए पर रह रहा था।
छात्र 12 मई से लापता था। 15 मई को उसका शव हासापुर के पास गोदावरी नदी से बरामद हुआ। इस घटना के बाद छात्रों में गुस्सा भड़क गया और उन्होंने कॉलेज प्रशासन और संबंधित शिक्षक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। छात्रों का आरोप है कि शिक्षक कोरे व्यापक और कुछ अन्य शिक्षक असाइनमेंट्स को लेकर अत्यधिक दबाव डाल रहे थे, जिससे पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा था।
छात्रों का कहना है कि परीक्षा की तैयारी और असाइनमेंट की डेडलाइन में तालमेल बैठा पाना मुश्किल था, लेकिन जब उन्होंने प्रिंसिपल से डेडलाइन बढ़ाने की गुजारिश की, तो उन्होंने सख्ती से इनकार कर दिया।
दूसरी और नांदेड़ के अंबानगर इलाके में 14 मई को 15 वर्षीय छात्रा रोशनी पगारे ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह 10वीं कक्षा की छात्रा थी और हाल ही में आए बोर्ड परीक्षा के परिणामों में उसे 73.80% अंक मिले थे। परिजनों का कहना है कि रोशनी को 85% से ज्यादा अंक की उम्मीद थी और जब उसे अपेक्षा से कम अंक मिले, तो वह अंदर से टूट गई।
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उसकी मां मेहनत-मजदूरी करके उसकी पढ़ाई का खर्च उठा रही थीं। पिता की मृत्यु के बाद रोशनी अपनी मां की उम्मीद बन चुकी थी, ऐसे में वह खुद से और ज्यादा उम्मीदें रखने लगी थी। उसके मामा रोहिदास सावते ने बताया कि रोशनी परिणाम आने के बाद लगातार परेशान थी। उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह खुद को असफल मानकर डिप्रेशन में चली गई और आखिरकार ये कदम उठा लिया।