नागपुर जिला परिषद (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Local Body Elections: नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव की रणभेरी बज गई है। चुनाव कार्यक्रम भी घोषित हो गए हैं और उम्मीदवारों के चयन के प्रक्रिया सभी राजनीतिक दलों में चल रही है। इसके साथ ही दूसरे चरण में जिला परिषद के होने वाले चुनाव के लिए भी पार्टियों ने अपनी गोटी बिठाना शुरू कर दिया है। जिले में हमेशा भाजपा व कांग्रेस ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी रही हैं।
बीते चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को करारी मात देकर जेडपी में अपना कब्जा जमा लिया था। उसके बाद जिले में कांग्रेस को कमजोर करने के लिए राज्य की सत्ता में बैठी बीजेपी व सहयोगी दलों ने तोड़फोड़ की राजनीति शुरू की। ग्रामीण भागों के अनेक दिग्गज पदाधिकारियों को भाजपायी बनाया गया। एकमात्र उद्देश्य जिले में भी अपना वर्चस्व बनाना है।
जिला परिषद में वापसी के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति के साथ बीजेपी अपनी रणनीति में जुटी हुई है लेकिन कांग्रेस भी हार नहीं मान रही है। वह भी किसी कीमत पर जेडपी की सत्ता गंवाना नहीं चाहती लेकिन यह भी सच है कि सत्ताधारियों के सामने उसकी इस बार की चुनौती कठिन होगी।
दोनों ही पार्टियां जीत की गारंटी वाले उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारने की जुगत में हैं। पूर्व जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे 2019 के चुनाव में टेकाडी सर्कल से चुनकर आई थीं। वहीं समीप के साटक सर्कल से बीजेपी के वेंकट कारेमोरे जीते थे। इसके पूर्व के 2012 के चुनाव में कांग्रेस के शिवकुमार यादव इस सीट से जिप सदस्य चुने गए थे। अब नये परिसीमन में टेकाड़ी सर्कल का कांद्री नगर पंचायत हो गया है।
पारशिवनी भी नगर पंचायत है। कन्हान नगर परिषद बन गया जिससे ये सर्कल से अलग हो गए हैं। बीजेपी के कारेमोरे का गांव नीलज सहित साटक में आने वाले 10 गांव अब टेकाड़ी सर्कल में जुड़ गए हैं। इससे भाजपा की ओर से वे टिकट के लिए दावा ठोकेंगे, लेकिन चर्चा है कि कांग्रेस की टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके और अब भाजपायी हुए गज्जू यादव भी बीजेपी की टिकट से इस सर्कल में उतरने की तैयारी में हैं।
उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अपने पूर्व सदस्य शिवकुमार यादव को वापस बुलाया है। सोशल मीडिया पर उनके टेकाड़ी से चुनाव लड़ने का प्रचार भी शुरू हो गया है। हालांकि अब तक जेडपी चुनाव के कार्यक्रम आयोग ने घोषित नहीं किये हैं लेकिन उनकी वापसी से अब भाजपा खेमे में हड़कंप मचा हुआ है।
शिवकुमार अपनी आक्रामक व बेबाक राजनीति के लिए जाने जाते हैं। अपने पूर्व कार्यकाल में उन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी किसी पदाधिकारी से अधिक अपने सर्कल में विकास कार्यों के लिए निधि की व्यवस्था की थी। उनकी वापसी से बीजेपी के चुनाव लड़ने के इच्छुकों में से कुछ तो ठंडे पड़ गये हैं।
नये सर्कल रिधोरा में भी दो दिग्गज टकरा सकते हैं। इस सीट से सलिल देशमुख और पूर्व जिप उपाध्यक्ष चंद्रशेखर चिखले की करारी टक्कर देखने को मिल सकती है। बता दें कि मेटपांजरा सर्कल के चंद्रशेखर चिखले संयुक्त राष्ट्रवादी पार्टी की टिकट से चुनाव जीते थे और जिप उपाध्यक्ष भी रहे। 2019 के चुनाव में लेकिन चिखले का पत्ता पूर्व गृह मंत्री के बेटे सलिल देशमुख के लिए काटा गया। तभी से वे नाराज चल रहे थे।
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जब विधानसभा चुनाव में भी सलिल को उम्मीदवारी दी गई तब अनेक कार्यकर्ताओं ने इसे पुत्र मोह बताया और नाराज चिखले ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। नई सर्कल रचना में मेटपांजरा सर्कल की जगह रिधोरा ने ले ली है। यहां से चिखले भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने वाले हैं और अगर सलिल इस सीट से उतरे तो दोनों का मुकाबला रोमांचक होगा।
पालक मंत्री बावनकुले के कामठी विधानसभा क्षेत्र के वडोदा सर्कल से कांग्रेस की अवंतिका लेकूरवाले जीती थीं और महिला व बाल कल्याण सभापति बनी थीं। इस बार उन्हें घेरने के लिए बीजेपी अपने सीनियर पदाधिकारी अनिल निधान को मैदान में उतारकर सीट हथियाने का दांव खेल सकती है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने चुनाव में जीत के लिए सीनियर सदस्यों को कांग्रेस के दिग्गजों के खिलाफ उतारने की रणनीति बनाई है।
भाजपा के अनुभवी सदस्य अनिल निधान का सर्कल आरक्षण की भेंट चढ़ गया है। उन्हें जिला परिषद अध्यक्ष का दावेदार माना जा रहा है। इसलिए वे दूसरा सर्कल खोज रहे हैं। लेकूरवाले के खिलाफ उन्हें उतारा जा सकता है जो कांग्रेस के लिए चुनौती होगी।
भाजपा के अनेक चुनाव जीत सकने वाले उम्मीदवारों के सर्कल आरक्षण की बलि चढ़ गए हैं। ऐसे में उन्हें किसी सर्कल पर उतारकर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी की जाए, यह गणित फिट किया जा रहा है। इनमें पूर्व जिप उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे जो कांग्रेस से भाजपा में आए, जिलाध्यक्ष आनंदराव राऊत, आतिश उमरे जैसे सदस्यों का समावेश है। वहीं कांग्रेस व राकां एसपी में मिलिंद सुटे, राजकुमार कुसुंबे, प्रकाश खापरे, दिनेश बंग के लिए सर्कल का जुगाड़ किया जा सकता है ताकि मुकाबला कांटे का हो सके।