वॉयस सैंपल रिपोर्ट में 2 वर्ष की देरी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: आरटीओ इंस्पेक्टर गीता शेजवल द्वारा दायर फौजदारी याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय में उस समय चौंकाने वाली स्थिति उजागर हुई, जब यह जानकारी सामने आई कि वॉयस सैंपल की रिपोर्ट दो वर्ष से अधिक समय से लंबित है। कोर्ट ने इस पर गहरी नाराज़गी व्यक्त करते हुए गृह विभाग के सचिव से प्रत्यक्ष रूप से जवाब तलब किया।
अदालत ने टिप्पणी की कि फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) द्वारा वॉयस सैंपल रिपोर्ट जारी करने में दो वर्षों से अधिक की देरी अत्यंत चिंताजनक है, जबकि मामला एक सरकारी अधिकारी से संबंधित है। कोर्ट ने कहा कि 12 नवंबर 2025 के अपने पिछली कार्यवाही के आदेश के जवाब में सहायक सरकारी वकील ने स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिससे पता चला कि जांच पूरी हो चुकी है, परंतु वॉयस सैंपल रिपोर्ट प्राप्त न होने के कारण चार्जशीट दायर नहीं की जा सकी है। यह सैंपल 22 अगस्त 2023 को प्रयोगशाला में भेजा गया था।
याचिकाकर्ता गीता शेजवल पर अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए अतिरिक्त धनराशि मांगने का आरोप है। इस संबंध में 5 मई 2023 को मामला दर्ज किया गया था। शेजवल का कहना है कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में देरी से बहुआयामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।अभियुक्त के त्वरित सुनवाई के अधिकारों पर आघात, और याचिकाकर्ता के बिना दोष साबित हुए लंबे समय तक आरोप झेलने जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। अदालत ने टिप्पणी की “यह जानकर हम स्तब्ध हैं कि वॉयस सैंपल और एफएसएल में भेजे गए अन्य सैंपल की रिपोर्ट दो वर्ष से अधिक समय से लंबित है।”
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एफएसएल में कर्मचारियों की कमी और रिपोर्ट जारी करने में विलंब की वजह जानने के लिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के उपनिदेशक को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया था। उपनिदेशक की ओर से बताया गया कि प्रयोगशाला में केवल दो अधिकारी कार्यरत हैं,
निर्धारित मानक के अनुसार प्रत्येक अधिकारी प्रतिदिन अधिकतम 5 मामलों का निपटारा कर सकता है, लंबित मामलों की संख्या अत्यधिक होने के कारण केवल उच्च प्राथमिकता वाले मामलों का विश्लेषण किया जा रहा है, और
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने गृह विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि रिक्त पदों की भरती एवं स्थिति सुधार के लिए अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी अदालत को प्रस्तुत की जाए।