नागपुर में हुई हिंसा पर बोले विहिप के महासचिव मिलिंद परांडे (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: नागपुर में सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के प्रदर्शन के बाद हिंसा हुई। इस घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। हिंसा को लेकर विहिप का पहला बयान सामने आया है। विहिन ने हिंसा की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। नागपुर में हिंसा के बाद शहर में विश्व हिंदू परिषद के नेता देवेश मिश्रा ने कहा कि औरंगजेब का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर नागपुर में हुई हिंसा की मंगलवार को निंदा की और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
नागपुर जिले के प्रभारी मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि सोमवार को भड़की हिंसा के सिलसिले में कम से कम 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि घटना में 33 पुलिसकर्मी एवं 6 अन्य लोग घायल हुए हैं।
नागपुर में हिंसा की निंदा करते हुए विहिप महासचिव (संगठन) मिलिंद परांडे ने आरोप लगाया कि एक विशेष समुदाय के एक वर्ग ने हमले किए और आगजनी की। उन्होंने कहा कि ‘‘हमारी युवा शाखा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के घरों पर हमला किया गया, उन्होंने कई घरों को निशाना बनाया। विश्व हिंदू परिषद इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है।
परांडे ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि एक तरफ यह झूठ फैलाया गया कि हिंदू समुदाय ने कुरान के पन्ने जलाए हैं। दूसरी तरफ हिंसा भड़काने का घिनौना प्रयास किया गया। ऐसे सभी असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र का महिमामंडन बंद किया जाना चाहिए तथा इसकी देखरेख का काम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बजाय, औरंगजेब को हराने वाले धनाजी जाधव, संताजी घोरपडे और छत्रपति राजारामजी महाराज का एक विजय स्मारक वहां बनाया जाना चाहिए।
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परांडे ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद मांग कर रही है कि मराठा साम्राज्य के तहत औरंगजेब की हार की याद में वहां एक विजय स्तम्भ बनाया जाए। इसलिए हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क में हिंसा भड़क उठी, जब यह अफवाह फैली कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान कुरान के पन्नों को जला दिया गया।