ठाकरे बंधु (सौजन्य-IANS)
MNS-Shiv Sena UBT: ‘एकजुट होंगे, तालियां बजाएंगे’- पिछले कुछ महीनों से चल रही ठाकरे बंधुओं की लंबी खिंचती एकता की चर्चाओं पर अब फिर से मनसे और शिवसैनिकों की नजरें टिकी हुई हैं। फिलहाल 2 अक्टूबर को दशहरा मेले की चर्चा है लेकिन दोनों दल स्वतंत्र राजनीतिक दल होने के कारण अपने-अपने मेले आयोजित करेंगे।
हालांकि दिवाली के बाद राजनीतिक ‘पटाखे’ फूटेंगे, ऐसी उम्मीद दोनों दलों के सैनिकों ने मन ही मन लगा रखी है। नागपुर से भी इस ‘मन-मिलन’ पर नजरें हैं और दावा किया जा रहा है कि दिवाली तक बड़ा धमाका होगा।
राज्य में इस समय अतिवृष्टि का कहर है। साथ ही स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव की चर्चा भी चल रही है। किसानों की मदद के नाम पर सभी राजनीतिक दल सक्रिय दिख रहे हैं, ताकि चुनाव में इसका अप्रत्यक्ष राजनीतिक लाभ मिल सके। लेकिन मुंबई में ठाकरे बंधुओं के संभावित एकीकरण पर सबकी निगाहें हैं। दोनों एक हो गए तो मुंबई महानगरपालिका में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, यह आकलन महायुति और महाविकास आघाड़ी के घटक दल भी कर रहे हैं। दशहरा मेला शिवसेना की पहचान माना जाता है और उद्धव ठाकरे गुट इसकी जोरदार तैयारी कर रहा है।
वहीं मनसे का पारंपरिक आयोजन गुढ़ीपाड़वा मेला होता है। ऐसे में राज ठाकरे इस दशहरा मेले में आएंगे या नहीं, इस पर सबकी नजरें हैं लेकिन संकेत यही हैं कि वे नहीं आएंगे और शिवसेना को उसका उत्सव व विचार रखने देंगे। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि दशहरा बीतने के बाद ही घटनाक्रमों को गति मिलेगी। शिवसेना के महासचिव हेमंत गडकरी ने भी स्पष्ट कहा है कि दशहरा मेले में दोनों भाई एक मंच पर नहीं आएंगे लेकिन दिवाली तक उनकी मुलाकात संभव है और तब तस्वीर साफ हो जाएगी।
मनसे की ओर से यह अप्रत्यक्ष संदेश दिया गया है कि एक-दूसरे के खिलाफ न बोलें, संबंध अच्छे बनाए रखें और अनावश्यक टीका-टिप्पणी से बचें। पहले दोनों दलों के सैनिक आमने-सामने भिड़ जाया करते थे लेकिन जब से ठाकरे बंधुओं के बीच की दूरी कुछ कम हुई है, तब से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में भी आपसी तालमेल बढ़ा है। मुंबई और नागपुर में तो कई आंदोलनों में दोनों दलों के सैनिकों ने साथ मिलकर हिस्सा लिया है।
यह भी पढ़ें – नागपुर की बारिश में RSS ने दिखाई अनुशासन की शक्ति, CM फडणवीस समेत 21 हजार संघ स्वयंसेवक हुए शामिल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में मतदाता सूची में गड़बड़ी और वोट चोरी का मुद्दा उठाया। इसके बाद मनसे ने भी इसे गंभीरता से लिया है। नागपुर में भी मनसैनिकों ने राज ठाकरे के आदेश पर मतदाता सूचियों की जांच शुरू कर दी है। इसलिए इस बार चुनाव के दौरान मतदाता सूची में गड़बड़ी और वोट चोरी का मुद्दा जोरदार तरीके से गूंजने की पूरी संभावना है।