सिटी में आवारा कुत्तों का आतंक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Municipal Corporation: आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से कई बार प्रशासन को हिदायतें देने के बावजूद इस पर सक्रियता से अमल नहीं किया गया। जिसका हश्र यह हुआ है कि अब सिटी में आवारा कुत्तों की संख्या एक लाख के पार होने जा रही है। आलम यह है कि सिटी की लगभग हर गली और मोहल्लों में ऐसे आवारा कुत्तों के झूंड होने से घर के बाहर निकलते बच्चों को लेकर परिजनों में भय व्याप्त है।
इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक बार कड़ा रूख लेते हुए इन आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने के आदेश दिए हैं। मनपा की ओर से आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम तो तैयार किया जा रहा है। किंतु आवारा कुत्तों की संख्या को देखते हुए मनपा के लिए इस समस्या से निपटने टेढ़ी खीर साबित हो रही है।
आश्चर्यजनक यह है कि सिटी में आवारा कुत्तों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2 दिन पहले ही आवारा कुत्तों ने एक 5 वर्ष के बच्चे पर हमला कर दिया। हमला इतना भयावह रहा कि नोच-नोच कर उस पर हुए हमले में बच्चे की जान चली गई। इसी तरह से गत सप्ताह भी आवारा कुत्तों द्वारा एक बच्चे का पीछा कर उसे लहुलुहान कर दिया गया। जिसकी बाद में मृत्यु हो गई। इस तरह की लगातार घटनाएं उजागर तो हो रही है, किंतु ना तो स्थानिय नेता और ना ही प्रशासन इसे गंभीरता से ले रहा है।
यहां तक कि मनपा के पास इस समस्या से निपटने के लिए किसी तरह का प्लान तक नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक बार आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में स्थानांतरित कर दिए जाने के बाद, उन्हें किसी भी हालत में सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यदि मनपा की ओर से इसका पूरी तरह से पालन होता है, तो निश्चित ही लोगों को कुछ राहत मिलने की आशा है।
मनपा ने आवारा कुत्तों पर नियंत्रण और उनकी देखभाल के लिए वाठोडा क्षेत्र में एक ‘डॉग शेल्टर सेंटर’ बनाने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल यह योजना केवल टेंडर प्रक्रिया में ही अटकी हुई है। प्रस्तावित डॉग शेल्टर में केवल 200 कुत्ते ही रह पाएंगे। जबकि इस योजना के लिए 6,89,67,281 रुपये का खर्च स्वीकृत किया गया है।
यह शेल्टर होम तीन एकड़ क्षेत्र पर बनाया जाएगा। हालांकि इसमें आवारा कुत्तों और पिल्लों के लिए अलग-अलग आश्रय स्थल, आइसोलेशन शेड, स्वच्छता सुविधाएं, एक आधुनिक अस्पताल, खेल के मैदान, रसोई, स्टोर और जानवरों के लिए सभी ज़रूरी सुविधाएं होंगी, लेकिन शहर में आवारा कुत्तों की संख्या को देखते हुए ये सुविधाएं अपर्याप्त मानी जा रही है। इसी तरह से शहर के पास आवारा कुत्तों के आश्रय के लिए चार जगहें चिन्हित की हैं। इनमें दूधबर्डी (46 हेक्टेयर), तिश्ती (13 हेक्टेयर), तोंडखैरी (18.55 हेक्टेयर) और टोंडखैरी (52.73 हेक्टेयर) शामिल हैं। यह जानकारी मनपा की ओर से अदालत में पेश की।
आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम स्थापित करें। एक बार शेल्टर होम में ले जाए जाने के बाद, आवारा कुत्तों को किसी भी परिस्थिति में सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डाल रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करें। बच्चों और युवाओं को आवारा कुत्तों का शिकार नहीं बनना चाहिए।
मनपा पशु जन्म नियंत्रण नियम 2013 के तहत आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कर रहा है। इसके बाद, आवारा कुत्तों को उसी इलाके में ले जाकर छोड़ दिया जाता है जहां से उन्हें पकड़ा गया था। लेकिन अब भले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण माहौल बदल गया है, मनपा के पास शहर में इतनी बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों के लिए कोई आश्रय स्थल नहीं है।