सुप्रीम कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Jhudpi Forest News: नागपुर, वर्धा, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर और गड़चिरोली जिलों की वन जमीनों को लेकर 22 मई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से अहम आदेश जारी किया गया था। इसके अनुसार झुड़पी जंगल जमीनों पर वर्ष 1996 के बाद के अतिक्रमणों पर गाज गिरने जा रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए इस आदेश में संशोधन की प्रार्थना करते हुए राज्य सरकार की ओर से अर्जी दायर की गई। इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश भूषण गवई और न्यायाधीश ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने 1996 से पहले हुए 10,365.04 हेक्टेयर तक के पुराने अतिक्रमणों को विशेष राहत दी है।
महाराष्ट्र राज्य ने अपने आवेदन में सुप्रीम कोर्ट के 22 मई, 2025 के मूल निर्णय में दो मुख्य संशोधन की प्रार्थना की। राज्य ने प्रार्थना की थी कि 3 हेक्टेयर से कम क्षेत्र वाले और किसी भी वन क्षेत्र से न लगे हुए ‘खंडित भूमि पार्सल’ (Fragmented Land Parcels) को संरक्षित वन घोषित करने के बजाय वन अधिकार अधिनियम, 2006 की धारा 3(2) या अन्य सार्वजनिक उपयोगों के लिए इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता दी जाए।
यह भी पढ़ें:- नियुक्ति की तारीख तय करेगा कैसा होगा बुढ़ापा, बॉम्बे हाई कोर्ट ने OPS पर दिया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया और स्पष्ट किया कि सभी ऐसे खंडित भूमि पार्सलों को संरक्षित वन ही घोषित किया जाएगा। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि राज्य इन भूमियों का उपयोग अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 की धारा 3(2) के तहत उल्लिखित किसी उद्देश्य के लिए करना चाहता है तो उसे निर्धारित प्रक्रिया और शर्तों का पालन करना अनिवार्य होगा।