समृद्धि महामार्ग पर सरकार से मांगा ब्योरा (फाइल फोटो)
Samruddhi Mahamarg: समृद्धि महामार्ग से यातायात शुरू होने के बाद से लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं जिनमें अब तक कई लोगों की जान गई है। अधूरी व्यवस्था के चलते इस तरह की परेशानी है। अत: सुविधाओं के सटीक कार्यान्वयन तक एक्सप्रेस-वे बंद करने का आदेश देने का अनुरोध करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वाडपल्लीवार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
गुरुवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को उस समय हाई कोर्ट की नाराजगी झेलनी पड़ी जब न्यायाधीशों ने स्वयं के अनुभव में समृद्धि महामार्ग पर स्वच्छता और सुविधाओं की कमी होने की जानकारी उजागर की। कड़ी फटकार लगाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि शौचालयों की सुविधा को लेकर तमाम उपाय अपर्याप्त पाए गए हैं, जबकि इस संदर्भ में कई बार आदेश जारी किए जा चुके हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर, MSRDC की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ और तेल कंपनियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसपी धर्माधिकारी, वरिष्ठ अधि.आनंद जायसवाल और वरिष्ठ अधि। अक्षय नाईक ने पैरवी की।
न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर की बेंच ने औरंगाबाद जाते समय अपने स्वयं के अनुभव के आधार पर सरकारी पक्ष के दावों पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल लिमिटेड सहित अन्य पेट्रोल पंपों पर बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं की कमी है।
असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) और तेल कंपनियों द्वारा अब तक किए गए उपाय इस अत्याधुनिक एक्सप्रेस-वे पर शौचालय सुविधाओं के रखरखाव के संबंध में अपर्याप्त थे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधि. श्रीरंग भंडारकर ने महामार्ग के किनारे पौधारोपण के संबंध में अतिरिक्त चिंता जताई। इस पर हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान विचार करने के संकेत दिए।
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सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त शौचालयों की सुविधा के मद्देनजर 180 से अधिक पोर्टा केबिन स्थापित किए गए हैं और वे चालू हैं। इस पर कोर्ट का मानना था कि भले ही सरकार दावा कर रही हो किंतु उनके स्वयं के अनुभव से एक्सप्रेस-वे पर ऐसे कोई पोर्टा केबिन नहीं मिले हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता को MSRDC के पोर्टा केबिनों के दावे को मौके पर जाकर सत्यापित करने का मौखिक निर्देश दिया है, साथ ही हाई कोर्ट ने उक्त पोर्टा केबिन के सटीक स्थानों का उल्लेख करते हुए एक हलफनामा दायर करने का भी आदेश जारी किया।