आरबीआई (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur RBI: देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों के बैंक खाते सुचारु रूप से संचालित होते रहें और सरकारी योजनाओं का पैसा उनके खातों में जमा होता रहे इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 30 सितंबर तक राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की है। आरबीआई क्षेत्रीय कार्यालय के बड़े अधिकारी खुद विदर्भ के कोने-कोने में जाकर ग्रामीणों को री-केवाईसी करने की अपील कर रहे हैं।
बैंकों द्वारा वित्तीय समावेशन (एफआई) योजनाओं को संतृप्त करने और लाभार्थियों के बैंक खातों में री-केवाईसी (केवाईसी) कराने के लिए बैंक ग्राम पंचायत स्तर पर शिविरों का आयोजन कर रहे हैं। इन शिविरों में मौजूदा प्रधानमंत्री जन धन योजना और अन्य बैंक खातों का री-केवाईसी किया जा रहा है, साथ ही बैंकिंग सेवाओं से वंचित वयस्कों के लिए बीएमजेडीवाई खाते खोले जा रहे हैं।
आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक सचिन शेंडे, अंजना श्यामनाथ ने बताया कि पहली बार आरबीआई के अधिकारी दुर्गम गांवों तक खुद जा रहे हैं और जनता को री-केवाईसी करने की अपील कर रहे हैं। इसे अच्छा समर्थन भी मिल रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि केवाईसी करने से प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकन भी कराया जा रहा है। इन शिविरों का उपयोग लावारिस जमा के बारे में जागरूकता फैलाने और शिकायतों का निवारण करने के लिए भी किया जा रहा है।
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विदर्भ क्षेत्र में इस अभियान की कमान आरबीआई नागपुर के क्षेत्रीय निदेशक सचिन वाई. शेंडे के हाथों में है। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 11 में से 9 जिलों में 20 शिविरों में भाग लिया है। इन दौरों के दौरान उन्होंने री-केवाईसी के महत्व और सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकन की आवश्यकता पर जोर दिया। विदर्भ क्षेत्र में अब तक 5,911 शिविर आयोजित किए गए हैं जिनमें 2.77 लाख से अधिक खातों का री-केवाईसी सफलतापूर्वक अपडेट किया गया है। इस अवसर पर विनोद कुमार, पीयूष तेलरांधे, महेश थूल, सुधाकर उपस्थित थे।