प्रशांत कोरटकर की 'डॉक्टरेट' फर्जी। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: इतिहास के विद्वान इंद्रजीत सावंत को फोन पर भद्दी गालियां देकर छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में आपत्तिजनक बयान देने के बाद पूर्व पत्रकार प्रशांत कोरटकर अब सुर्खियों में हैं। हालांकि कोरटकर वर्तमान में फरार हैं, लेकिन उनके कई विवादास्पद कारनामे चर्चा का विषय बने हुए हैं। कोरटकर सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर खुद को पीएचडी वाला डॉक्टर बताता है और अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ लगाता है।
असल में, उन्हें एक निजी विश्वविद्यालय से मानद ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि प्राप्त हुई है, जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में नियमों के मुताबिक कोरटकर को किसी भी तरह से यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट नहीं माना जा सकता है।
इसके बावजूद, वह पिछले 5 वर्षों से आम जनता को धोखा देते आ रहे हैं। कोरटकर का राजनीतिक नेताओं के साथ भी नजदीकी संबंध बताया जाता है, और वह आईपीएस हलकों में सक्रिय हैं। मार्च 2020 में, कोरटकर को ‘भारत वर्चुअल यूनिवर्सिटी’ से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली। इसके बाद, उन्होंने अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ लिखकर खुद को एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया। उनके विजिटिंग कार्ड, सोशल मीडिया प्रोफाइल और पत्राचार में भी यह झलकता है कि वे ‘डॉ.’ के रूप में पेश होते हैं।
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संबंधित विश्वविद्यालय से इस डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के लिए कोई आधिकारिक मानदंड नहीं है। इसके लिए कोई योग्यता परीक्षा की आवश्यकता नहीं होती, और न ही इससे संबंधित क्षेत्र में किसी शोध या उच्च गुणवत्ता वाले कार्य की मांग की जाती है। इसके विपरीत, जहां कई आम लोग पीएचडी प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं, वहीं कोरटकर जैसी प्रवृतियां पैसे के बल पर डॉक्टरेट का सम्मान खरीद लेती हैं और खुद को उच्च शिक्षित बताती हैं।
बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले और इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के साथ गाली-गलौज करने वाले तथाकथित पत्रकार प्रशांत कोरटकर की पत्नी पल्लवी ने अपने पति का मोबाइल फोन और सिम कार्ड साइबर पुलिस स्टेशन में पुलिस को सौंप दिया है। नागपुर पुलिस की एक टीम मंगलवार को मामला कोल्हापुर पुलिस को सौंप देगी। फरार कोरटकर को पुलिस पकड़ नहीं पाई है, हालांकि उसका मोबाइल फोन पुलिस थाने में लाया गया है, जिससे नागपुर पुलिस की भूमिका पर संदेह पैदा हो गया है। ऐसी चर्चा है कि कोरटकर नागपुर में छिपा हुआ है और पुलिस जानबूझकर उसे हिरासत में नहीं ले रही है।