नरखेड़ चुनाव (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: नागपुर जिले के नरखेड में नगराध्यक्ष पद को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किए जाने के बाद हर राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। हालांकि, इस बार की राजनीतिक परिस्थिति 2017 के चुनाव से पूरी तरह अलग दिखाई दे रही है और स्थानीय राजनीति में नए समीकरण बनते हुए नजर आ रहे हैं। राज्य की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना इन दो प्रमुख दलों में हुई टूट का असर नरखेड़ की स्थानीय राजनीति पर साफ दिख रहा है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के बीच की गुटबाजी से कार्यकर्ताओं में भ्रम का माहौल है। पिछले चुनाव के उम्मीदवार गोपाल टेकाडे इस बार अजित पवार गुट के साथ सक्रिय हैं, जबकि शरद पवार गुट के नेता अनिल देशमुख इनके द्वारा अभी उम्मीदवारों का चयन होना बाकी है।
भाजपा के लिए भी यह चुनाव बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। 2017 में भाजपा ने जबरदस्त प्रचार किया था, फिर भी मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया था। पूर्व उम्मीदवार मनोज कोरडे को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया था। लेकिन इस बार भाजपा ने संगठनात्मक तैयारी जल्दी शुरू कर दी है और युवा वर्ग पर खास ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। कांग्रेस की ओर से याज्ञवल्क्य जिचकार के मार्गदर्शन में नए जोश के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी चल रही है।
पार्टी ने इस बार स्थानीय स्तर पर पढ़े-लिखे और युवा उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। इधर, शिंदे सेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) के बीच गठबंधन होगा या दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे, यह अभी तय नहीं हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इसी निर्णय पर नगराध्यक्ष पद की उम्मीदवारी का गणित निर्भर करेगा। अगर गठबंधन होता है तो उम्मीदवार कौन होगा और नाराज कार्यकर्ता किस पक्ष में जाएंगे, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, विधायक चरणसिंह ठाकुर, याज्ञवल्क्य जिचकार, और पूर्व नगराध्यक्ष अभिजीत गुप्ता इन सभी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि मतदाताओं की अंतिम पसंद अब भी स्पष्ट नहीं है।
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खास बात यह है कि इस बार पार्टी प्रत्याशियों की तुलना में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। स्थानीय स्तर पर सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़े कुछ प्रतिष्ठित व्यक्ति निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। इससे चुनावी मुकाबला और भी अधिक दिलचस्प होने के आसार हैं।
8 अक्टूबर 2025 को नरखेड़ शहर के वार्ड सदस्य पदों के लिए आरक्षण की लॉटरी घोषित की जाएगी, जिसका नगरवासियों को बेसब्री से इंतजार है। हर राजनीतिक दल के संभावित उम्मीदवार और समर्थक उत्सुक हैं कि किस वार्ड में कौन-सा वर्ग आरक्षित रहेगा, क्योंकि इसी पर स्थानीय राजनीति की दिशा निर्भर करेगी।
कुल मिलाकर, नरखेड़ में चुनावी माहौल जोशीला, उत्साहपूर्ण और रोमांचक बन गया है। राजनीतिक समीकरणों में बड़े उलटफेर की संभावना है और इस बार का नरखेड़ नगराध्यक्ष चुनाव निश्चित रूप से रंगीन, कड़ी टक्कर वाला और अप्रत्याशित परिणाम देने वाला साबित होने जा रहा है।