नरेंद्र मोदी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
PM Narendra Modi Birthday: नागपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर तक ‘सेवा पखवाड़ा’ मनाया जाएगा। राजस्व एवं वन विभाग के संयुक्त सचिव अजीत देशमुख ने 1 सितंबर को इस संबंध में आदेश जारी किया है। राजस्व विभाग एक ऐसा विभाग है जो लोगों की समस्याओं और मुद्दों से जुड़ा हुआ है।
आम लोगों को राहत प्रदान करने के लिए राजस्व प्रशासन को और अधिक जनोन्मुखी, कुशल, गतिशील और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए ‘छत्रपति शिवाजी महाराज महाराजस्व अभियान’ के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर तक की अवधि में ‘सेवा पखवाड़ा’ मनाया जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान उक्त उपक्रम को युद्ध स्तर पर लागू किया जाए। यह उपक्रम 3 चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में पक्की सड़कें, दूसरे चरण में सभी के लिए आवास और तीसरे चरण में कलेक्टर स्थानीय स्तर पर अभिनव उपक्रमों को लागू करेंगे।
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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसएस मौदेकर ने रिश्वतखोरी के मामले में नायब तहसीलदार नवनाथ काथकड़े को आरोपों से बरी कर दिया। एसीबी ने साहिल सैयद की शिकायत पर काथकड़े के खिलाफ हुड़केश्वर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया था। काथकड़े ने चोरी की रेत से लदे साहिल के 2 ट्रक पकड़े थे। चालक से रिश्वत की मांग की थी और बाद में शिकायतकर्ता को फोन करके रेत के अवैध उत्खनन की अनुमति देने के लिए प्रति ट्रिप 4,000 रुपये की मांग की थी।
इसके अलावा 60,000 रुपये नकद, मोबाइल फोन और सिम कार्ड मांगा था। अभियोजन पक्ष ने मांग का सत्यापन करने के लिए पंच के समक्ष जांच करवाई। सत्यापन पूरा होने के बाद शिकायतकर्ता को 20,000 रुपये के दागी नोट, एक मोबाइल फोन और सिम कार्ड के साथ भेजा गया जिनके पैकेट भी फिनोफ्थलीन पाउडर लगे हुए थे। चूंकि अभियुक्त ने उक्त राशि और सामान स्वीकार कर लिया था, इसलिए उन्होंने अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया। वॉइस रिकॉर्डर में विधिवत रिकॉर्डिंग की गई थी।
अभियोजन पक्ष ने अपने तर्कों को प्रमाणित करने के लिए 6 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। बचाव पक्ष के वकील प्रकाश नायडू, मितेश बैस, होमेश चौहान, सुरभि नायडू और ध्रुव शर्मा ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता और पंच गवाह जिरह की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए। उनके साक्ष्यों में विरोधाभास सामने आया। मुख्य गवाहों के बयानों से रिकॉर्ड में दर्ज की गई महत्वपूर्ण विसंगतियां जांच अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों के अनुरूप नहीं हैं। रिश्वत स्वीकार करते समय पंच गवाह वास्तव में अनुपस्थित था। उसने कथित मांग नहीं देखी थी।