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नक्सली हमला: हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पलटी, साक्ष्यों और पहचान के अभाव में आरोपी बरी

Gadchiroli case: गढ़चिरोली के एटापल्ली में 2015 के नक्सली हमले मामले में हाई कोर्ट ने साक्ष्यों और पहचान के अभाव में आरोपी की उम्रकैद की सजा रद्द कर उसे बरी कर दिया।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Dec 29, 2025 | 09:18 PM

Gadchiroli case (सोर्सः सोशल मीडिया)

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High Court Verdict: वर्ष 2015 में गढ़चिरोली के एटापल्ली में हुए नक्सली हमले के मामले में हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी अनिल उर्फ रसूल सुकानू सोरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति राज वाकोडे की खंडपीठ ने आरोपी की उम्रकैद की सजा रद्द करते हुए उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 22 मार्च 2015 को गढ़चिरोली पुलिस ने एटापल्ली उप-मंडल क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान चलाया था। शाम करीब 4.50 बजे, जब पुलिस की टीमें मुसपर्सी के पास परलकोट नदी पार कर रही थीं, तभी हरे रंग की वर्दी पहने 60 से 70 नक्सलियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस भीषण मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी — एनपीसी डोगे डोलू आत्राम और पीसी स्वरूप अमृतकर शहीद हो गए थे, जबकि कई अन्य घायल हुए थे।

निचली अदालत ने सुनाई थी सजा

गढ़चिरोली की अतिरिक्त सत्र अदालत ने 1 फरवरी 2021 को अनिल सोरी को हत्या और अन्य अपराधों में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपी को छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले से गिरफ्तार किया गया था और उस पर नक्सलियों का साथ देने का आरोप था।

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दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष आरोपी की पहचान स्थापित करने में विफल रहा है। जांच के दौरान आरोपी की कोई ‘टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड’ नहीं कराई गई, जो ऐसे मामलों में पहचान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होती है। गवाहों ने केवल यह बताया था कि उन्होंने हमले के दौरान नक्सलियों को ‘अनिल’ नाम पुकारते हुए सुना था। अदालत ने कहा कि ‘अनिल’ एक अत्यंत सामान्य नाम है और केवल नाम सुने जाने के आधार पर किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

बेहद कमजोर साक्ष्य

गवाहों ने यह भी स्वीकार किया कि घटना घने जंगल में और शाम के समय हुई थी, जहां नक्सली पेड़ों के पीछे छिपे हुए थे। ऐसे में अदालत में पहली बार की गई पहचान को ठोस साक्ष्य नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी की संलिप्तता साबित करने के लिए प्रस्तुत साक्ष्य बेहद कमजोर हैं, जिनके आधार पर उसकी सजा बरकरार नहीं रखी जा सकती। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आरोपी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।

Naxal attack gadchiroli high court acquits accused

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Published On: Dec 29, 2025 | 09:18 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Gadchiroli
  • Maharashtra
  • Nagpur News
  • Naxalites

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