
येरवदा जेल, पुणे (फ़ाइल फोटो)
नागपुर. नंदनवन थानांतर्गत बहुचर्चित 5 लोगों की हत्या के मामले में निचली अदालत ने विवेक पालटकर को फांसी की सजा सुनाई थी जिसे चुनौती देते हुए जहां आरोपी की ओर से अपील दायर की गई वहीं उसे फांसी पर मुहर के लिए सरकार ने भी हाई कोर्ट में अर्जी दायर की. दोनों अर्जियों पर एक साथ सुनवाई की जा रही है. बुधवार को सुनवाई के दौरान फांसी के आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे देवेन चौहान ने आरोपी के साथ वीसी पर बात करने की आवश्यकता जताई.
सरकारी पक्ष की सहमति के बाद अदालत ने पुणे के येरवडा जेल में बंद आरोपी से वीसी के माध्यम से बात करने की अनुमति प्रदान की. उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने ही अधि. चौहान की नियुक्ति की थी. अधि. चौहान ने कहा कि आरोपी से कुछ जानकारी लेनी है. गत समय अधीक्षक का मानना था कि पुणे से नागपुर की दूरी को देखते हुए फांसी के इस आरोपी को सुनवाई के दौरान हाजिर रखना संभव नहीं है. ऐसे में आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आरोपी को उपस्थित करने की अनुमति देने का अनुरोध अदालत से किया गया था.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि 22 जून 2018 को हुई वारदात के बाद से ही आरोपी जेल में है. इस पर अदालत ने आरोपी के बर्ताव को लेकर अधीक्षक को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि आरोपी ने अपने बेटे, सगी बहन, जीजा, बहन की सास और भांजी को मौत के घाट उतार दिया था. इस पर 5 वर्षों तक निचली अदालत में चली सुनवाई के बाद अदालत ने निर्मम हत्या के लिए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी. अदालत का मानना था कि भले ही आरोपी ने 5 लोगों की हत्या की हो लेकिन इस हत्या से आरोपी की बेटी और भांजी का जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ऐसे में यह 7 हत्या जैसा मामला है.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में कुल 29 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. विवेक की बेटी और भांजी इस प्रकरण में चश्मदीद गवाह थे. दोनों को कोर्ट में 2 बार पेश किया गया जहां दोनों बच्चियों ने पूरे साहस के साथ विवेक की हैवानियत बयान की. उनकी गवाही इस मामले में महत्वपूर्ण साबित हुई. उनके अलावा पवनकर परिवार के पड़ोसी दम्पति की गवाही भी महत्वपूर्ण साबित हुई थी जिसके आधार पर फांसी की सजा सुनाई गई.






