नागपुर हिंसा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर शहर में भड़की हिंसा में नागपुर पुलिस ने अब तक 69 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इस मामले के पीछे छुपे मास्टरमाइंड फहीम खान को भी गिरफ्तार कर लिया है, जिसे कोर्ट ने 21 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इस दौरान नागपुर में इस साजिश का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस के साथ जांच एजेंसियां भी जुट गई है, जो लगातार इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है।
इस मामले में जांच एजेंसियों के हाथ खुफिया जानकारी भी लगी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में केवल नागपुर के नहीं बल्कि बाहर के लोग भी सक्रिय थे। इस मामले के तार अब उत्तरप्रदेश से भी जुड़ते दिखाई दिए है। मिली जानकारी के अनुसार नागपुर हिंसा में कमलेश तिवारी हत्याकांड में नागपुर से गिरफ्तार आरोपी भी पूरी तरह से सक्रिय था।
यह जानकारी सामने आने के बाद अब आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और राज्य पुलिस की एसआईडी भी जानकारी इकट्ठा करने में लग गई है। इन बैठकों का नियोजन करने वाले जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। समाज में अपनी पकड़ रखने वाले कुछ चुनिंदा लोगों को ही बैठक में बुलाया गया था। जानकारी ये भी है कि वर्ष 2019 में यूपी में हुई हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड में नागपुर से गिरफ्तार किया गया आरोपी भी इस पूरे घटनाक्रम में सक्रिय था।
श्याम लॉन के समीप बंद कमरे में कुछ लोगों ने मिलकर किस तरह समाज के लोगों को इकट्ठा करना है, कहां-कहां और कब हिंसा फैलानी है, इसकी पूरी रणनीति बनाई गई। पहले माना जा रहा था कि महल और आसपास के इलाकों से लोग आंदोलन करने के लिए इकट्ठा हुए लेकिन असली योजना कहीं और ही बन रही थी। पहले योजना के तहत पुलिस को चिटणीस पार्क परिसर में उलझाया गया।
वातावरण बिगड़ने पर सबसे पहले पुलिस का बंदोबस्त भगवाधर चौक पर लगाया गया था। हर बार वहीं 2 गुट आमने-सामने आते हैं। यहां पुलिस का बंदोबस्त भी लगाया गया था, इसीलिए योजना के तहत इस बार गीतांजलि चौक को चुना गया। छोटी-छोटी गलियों के जरिए दंगाई गीतांजलि चौक की ओर बढ़े और वहां आगजनी की गई।
बैठक में यह भी तय हुआ कि सबसे पहले जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़े जाएं जिससे हिंसा करने वालों की पहचान न हो पाए, भड़कावे में आकर हिंसा करने वाले सामान्य लोगों के चेहरे पर कोई नकाब नहीं था लेकिन इसके पीछे के सभी मास्टर माइंड लोगों ने अपने चेहरे इंक रखे थे, इसीलिए अब एजेंसियां हिंसक आंदोलन की व्यूहरचना बनाने वालों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
एजेंसियों को लगातार फोन पर हुई बातचीत का रिकॉर्ड भी मिल गया है। किसने, किससे और कब-कब बात की इसकी छानबीन की जा रही है। हिंसा में बड़ी साजिश को देखते हुए गृह मंत्रालय के आला अफसर और पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक हुई। इस बैठक में पूरे प्रकरण की जांच एटीएस को सौंपने पर भी विचार किया गया। फिलहाल कोई सहमति तो नहीं बनी है लेकिन सूत्रों से जानकारी मिली है कि जल्द ही मामला एटीएस को सौंपा जा सकता है।
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हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की 8 अक्टूबर 2019 को लखनऊ में कमलेश की हत्या कर दी गई थी। आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन ने बेरहमी से वारदात को अंजाम दिया था। कमलेश के सीने में चाकू से 15 वार किए गए थे।