नागपुर विवि की निष्क्रियता (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur University Issues: करीब दो वर्षों तक नागपुर विश्वविद्यालय बिना नियमित प्रमुख के संचालित होने के चलते इसके साइड इफेक्ट अब स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं। दर्जनों समितियों की केवल औपचारिक बैठकें होती रहीं, जबकि विकास कार्यों पर लगभग ब्रेक लग गया। पूरा प्रशासन मुख्यतः आयोजन और समारोहों में ही व्यस्त रहा।
शताब्दी महोत्सव अंतर्गत संलग्न महाविद्यालयों में इनक्यूबेशन सेंटर और क्लस्टर विकसित करने हेतु 1 करोड़ रुपये की सहायता देने का प्रावधान बजट में किया गया था, लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भी इसकी नियमावली तैयार नहीं की गई। नियमावली न होने के कारण महाविद्यालयों से आवेदन आमंत्रित करना भी संभव नहीं हो पाया और पूरी योजना ठप पड़ी है।
विश्वविद्यालय ने इनक्यूबेशन सेंटर के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज क्लस्टर बनाने की योजना भी बनाई थी। इसके लिए बजट में निधि का प्रावधान, साथ ही महाविद्यालयों को डिजिटल डिस्प्ले पैनल प्रदान करने का निर्णय भी सीनेट ने मंजूर किया था। लेकिन नियमावली का अभाव प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाता है।
छात्र प्रशिक्षण, काउंसलिंग और रोजगार मेला के लिए 25 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था। हालांकि विश्वविद्यालय ने कुछ रोजगार मेले आयोजित किए, लेकिन प्रशिक्षण और काउंसलिंग गतिविधियां लगभग न के बराबर रहीं। छात्र स्वयं तैयारी करके रोजगार मेलों में अवसर तलाशने को मजबूर हैं। इससे यह सवाल उठता है कि बजट में की गई घोषणाएं केवल आयोजनों तक सीमित हैं क्या? साथ ही, विश्वविद्यालय ने सभी विभागों को डिजिटलाइज करने की योजना भी बनाई थी। इसके लिए लाखों का प्रावधान किया गया, लेकिन अधिकांश विभाग अभी तक डिजिटल प्रणाली में सम्मिलित नहीं किए जा सके हैं।
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शुक्रवार को हुई सीनेट बैठक में सदस्यों द्वारा पूछे गए कई प्रश्नों का अधिकारी संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। स्थिति ऐसी बन गई कि अधिकारी एक-दूसरे का मुंह ताकते रह गए। इससे स्पष्ट होता है कि सीनेट और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों को लेकर गंभीरता का अभाव है। परिणामस्वरूप कई योजनाएं अधर में हैं और विश्वविद्यालय की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।