(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Nagpur Municipal Corporation Election: महाराष्ट्र में नगर परिषद और और नगर पंचायत के चुनाव 2 दिसंबर को होंगे। इसके बाद नगर निगम के चुनाव होने है। इस दौरान महाराष्ट्र के उपराजधानी नागपुर महानगरपालिका (NMC) के भी चुनाव होंगे। हम आपकों प्रभागवार समीकरण और राजनीति के के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
इस कड़ी में आज हम बात करेंगे नागपुर के प्रभाग क्रमांक 5 की। नागपुर के सतरंजीपुरा जोन अंतर्गत आने वाले प्रभाग क्रमांक 5 के अंतर्गत क्षेत्र की अजीबोगरीब स्थिति है। लगभग हर हिस्से में पुरानी बस्तियां होने के कारण न केवल जहां-तहां अतिक्रमण फैला हुआ है बल्कि सीवरेज नेटवर्क भी अतिक्रमण की चपेट में है।
यही कारण है कि सीवरेज, जलवाहिनी और बारिश के पानी की निकासी की स्ट्राम वाटर ड्रेनेज जैसी वाहिनियों की वर्षभर समस्या बरकरार रहती है।
राज्य और केंद्र में सत्ता होने के कारण पूर्व पार्षद प्रवीण भिसीकर सहित सभी पूर्व पार्षदों की ओर से मूलभूत सुविधाओं का पर्याप्त विकास करने का प्रयास तो किया गया किंतु सीवरेज नेटवर्क के लिए करोड़ों की आवश्यकता होने के कारण यह मसला अटका हुआ है। ऐसे में अब निकट भविष्य में होने वाले नागपुर महानगरपालिका के चुनाव में भाजपा की नैया कैसे पार होगी? यह चुनौती पूर्व पार्षदों के समक्ष है।
बहरहाल इस प्रभाग में 70 से 80 करोड़ रुपए के विकास कार्य किए जाने का दावा पूर्व पार्षदों ने किया है जिनमें 15 से 20 करोड़ रुपए का खर्च सीमेंट रोड नेटवर्क तैयार करने में हुआ है, जबकि विकास निधि का अधिकांश हिस्सा सीवरेज लाइनों को बदलने और चेंबर की दुरुस्ती पर खर्च हुआ है।
प्रभाग में भाजपा के निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस और बसपा के पूर्व पार्षदों का कहना है कि पूरे प्रभाग की जनता विशेष रूप से सीवरेज लाइन के चोक होने की समस्या से त्रस्त है। हर दूसरे दिन किसी न किसी हिस्से में बड़ी सीवरेज लाइन चोक रहती है।
राज्य और केंद्र में भाजपा की सत्ता होने के कारण पार्षद रहे व्यक्तियों के पास बड़ी निधि प्राप्त कर सीवरेज नेटवर्क बदलने का एक अच्छा मौका था किंतु ऐसा नहीं हो पाया है। फलस्वरूप जनता वर्षों से इस समस्या से जूझ रही है।
इसी तरह से प्रभाग में 5 खेल के मैदान हैं। यदि इस तरह के खेल के मैदान पश्चिम या पूर्व नागपुर जैसे हिस्से में होते तो इनकी सूरत बदल जाती किंतु उत्तर का अधिकांश हिस्सा होने से इस पर सत्ता पक्ष का ध्यान नहीं रहा। प्रभाग के किसी पूर्व पार्षद को छोड़ दिया जाए तो अन्यों के प्रभाग में दर्शन तक नहीं हुए हैं। वे केवल पार्टी के नाम पर चुनाव जीतने के बाद गायब हो गए।
जीतेने वाले प्रत्याशी वोट्स दूसरे नंबर के प्रत्याशी वोट्स
दुर्गा हत्तीठेले 11,315 प्रीति सहारे 5,897
प्रवीण भिसीकर 9,515 रामा उईके 6,962
अभिरुचि राजगिरे 8,605 निर्मला बोरकर 6,080
संजय चावरे 5,662 पृथ्वीराज शेंडे 4,673
भाजपा :- दिनेश कुकडे, रंजना बंसोड, दुर्गा हत्तीठेले, जितेन्द्र मोहाडीकर, कल्पेश भानारकर, संजय चावरे,
कांग्रेस :- रामा उइके, शेख शाहनवाज, प्रशांत पंधरे, पूजा वाघमारे, निर्मला बोरकर, दीपा गावंडे, अंजू बावने, मंगेश सातपुते।
बसपा :- पृथ्वीराज शेंडे, जगदीश गजभिए, नरेश वासनिक, विनायक मेश्राम, माया उके, मंगल गोंडाणे, सोनू पेंदोर।
5-अ अनुसूचित जाति (महिला)
5-ब अनुसूचित जनजाति (पुरूष)
5-क ओबीसी (महिला)
5-ड सर्वसाधारण (पुरुष)
प्रभाग में भले ही मूलभूत सुविधाएं ठीक-ठाक हों लेकिन अन्य क्षेत्रों की तुलना में यह प्रभाग काफी पीछे है। पार्षदों को मिलने वाली विकास निधि से यहां का सीवरेज नेटवर्क या दूषित जलवाहिनियों का नेटवर्क बदलना संभव नहीं है। हाल ही में बिनाकी मंगलवारी के तालाब का सौंदर्यीकरण प्रन्यास की ओर से शुरू किया गया। इस तालाब में सीवरेज का पानी जमा होता है।
प्रन्यास को सर्वप्रथम इस सीवरेज के पानी का इंतजाम करना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं किया गया और सौंदर्यीकरण शुरू किया गया जिससे सौंदर्यीकरण पर खर्च होने वाले लाखों रुपए पर पानी फिर जाएगा। इसी तरह से प्रभाग में म्हाडा की कॉलोनी है जो काफी पुरानी है।
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यहां पार्षदों को काम करने की स्वतंत्रता नहीं है। केवल म्हाडा की ओर से ही विकास हो सकेगा किंतु म्हाडा की ओर से ध्यान नहीं दिया जाता है। कावरापेठ में बने पुल के कारण वाहिनियां डैमेज हो चुकी हैं। कुछ हिस्सों में सीमेंट रोड के कारण आवास गड्ढों में चले गए हैं जहां बारिश के दिनों में समस्या है।
4 सदस्यों के इस प्रभाग में भले ही चारों सीटें भाजपा ने जीती हों लेकिन भाजपा के लिए बहुजन समाज पार्टी ने यहां संजीवनी की काम किया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक सीट पर बसपा का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा है। आश्चर्यजनक यह है कि संजय चावरे के खिलाफ बसपा के पृथ्वीराज शेंडे ने 4,673 वोट प्राप्त किए थे, जबकि चावरे को 5,662 वोट प्राप्त हुए थे।
आलम यह था कि तीसरे नंबर पर पूर्व महापौर किशोर डोरले ने भी निर्दलीय रहते हुए 4,450 वोट लिए थे। यहां पर कांग्रेस ने डोरले को टिकट नहीं देकर अपनी पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी। यदि डोरले को टिकट दिया होता तो प्रभाग की चारों सीटों पर इसका असर दिखाई देता।
डोरले की टिकट काटने का परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस का प्रत्याशी मंगेश सातपुते 4,439 वोट लेकर चौथे नंबर पर चला गया। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस चुनाव में यदि कांग्रेस ने टिकट का बंटवारा सटीक ढंग से किया तो भाजपा के लिए कड़ी चुनौती होगी।