चंद्रशेखर बावनकुले-सुनील केदार-सुलेखा कुंभारे-आशीष जायसवाल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Civic Election Voting: नागपुर स्थानीय निकाय के पहले चरण का चुनावी रण आज से शुरू हो रहा है। जिले की 15 नगर परिषद व 12 नगर पंचायतों के 27 नगराध्यक्षों और 537 सदस्यों के चयन के लिए 2 दिसंबर को सुबह 7.30 बजे से 853 मतदान केन्द्रों में मतदान होगा। करीब 7.30 लाख मतदाता उम्मीदवारों का भाग्य तय करेंगे।
मतदान के ठीक 2 दिन पूर्व ही जिले के 9 प्रभागों में सदस्यों के चुनाव स्थगित हुए हैं, वरना 546 सदस्यों के लिए चुनाव होना था। मैदान में नगराध्यक्ष पद के लिए 167 और सदस्यों के लिए लगभग 2216 उम्मीदवार मैदान में हैं। यह चुनाव उम्मीदवारों के लिए तो परीक्षा हैं ही, उनके पार्टी नेताओं के लिए तो अग्निपरीक्षा साबित होने वाले हैं।
मतदान के दूसरे ही दिन 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होंगे और तब पता चलेगा कि किस पार्टी का कौनसा नेता इस परीक्षा में पास हुआ है। चूंकि दोनों की गठबंधन महायुति और महाविकास आघाड़ी के दल स्वतंत्र रूप मैदान में हैं और अनेक जगहों पर ये मित्र दल आपस में जोर-आजमाइश करते नजर आएंगे, इसलिए कौन किस पर भारी पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।
महायुति में भाजपा उम्मीदवारों के प्रचार की कमान सीएम देवेन्द्र फडणवीस, राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, आशीष देशमुख, समीर मेघे आदि ने संभाली थी। शिंदे सेना के लिए डीसीएम एकनाथ शिंदे, राज्य मंत्री आशीष जायसवाल, चुनाव प्रभारी व विधायक कृपाल तुमाने ने जोर लगाया। राकां अजीत पवार गुट के लिए खुद अजीत पवार आकर गए।
वहीं मविआ के मुख्य घटक दल कांग्रेस में प्रचार की धुरा दिग्गज नेता सुनील केदार के साथ सांसद श्याम बर्वे, विधायक संजय मेश्राम ने संभाली। राकां एसपी के लिए अनिल देखमुख, रमेश बंग तो बरिएमं के लिए सुलेखा कुंभारे चुनौती देती नजर आईं। इन सभी के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा कहा जा रहा है।
खुद को एक दूसरे का मित्र बताने वाले दल इस चुनाव में आपस में ही भिड़ने वाले हैं। फिर चाहे वह भाजपा नीत महायुति हो या कांग्रेस नीत मविआ। कुछ सीटों को छोड़ दें को नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव में 90 फीसदी सीटों पर सभी के स्वतंत्र उम्मीदवार हैं। महायुति में भाजपा ने जिले की सभी 27 नप-नपं अध्यक्ष पदों के साथ ही सदस्यों को मैदान पर उतारा है तो सरकार में शामिल शिंदे सेना ने 15 और राकां अजीत पवार गुट ने भी 15 नगराध्यक्षों पद के साथ सदस्य मैदान में उतारे हैं।
मतलब आपस में टकराव तय है। तीनों दलों के उम्मीदवार एक दूसरे से भिड़ेंगे। वहीं कांग्रेस ने 23 नगराध्यक्ष प्रत्याशी उतारे हैं। 1 सीट पर गठबंधन किया है और राकां शरद पवार की वजनदारी वाली 3 सीटें छोड़ दी हैं। मविआ में शामिल राकां शरद पवार पार्टी ने 11 नप-नपं में अध्यक्ष उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं शिवसेना उद्धव ठाकरे ने भी 11 सीटों पर अध्यक्ष के उम्मीदवार सहित अपना स्वतंत्र पैनल उतारा है।
भले ही इस चुनाव में सभी मुख्य पार्टियों के नेताओं ने प्रचार में अपनी-अपनी ताकत झोंकी हो लेकिन असली लड़ाई बावनकुले वर्सेस सुनील केदार ही कहा जा रहा है। बताते चलें कि जिले में सुनील केदार ने अपने दम पर कांग्रेस का दबदबा बनाए रखा हुआ है। जिला परिषद पर उनके ही गुट का कब्जा था। लोकसभा चुनाव में रामटेक सीट से अपने उम्मीदवार को जिताने में उनकी रणनीति का कोई मुकाबला नहीं कर पाया था।
यह भी पढ़ें – 35 विधायक छोड़ेंगे शिंदे का साथ, संजय राउत ने किया बड़ा खुलासा, बोले- मोदी-शाह ने पीठ में छुरा घोंपा
विधानसभा चुनाव में वे चुनाव नहीं लड़ पाए उनकी सीट उनके हाथों से निकल गई। बावजूद इसके अब निकाय चुनाव के लिए उन्होंने जिलेभर में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए धुआंधार प्रचार किया है। वहीं भाजपा से राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले इस चुनाव के लिए बीजेपी के राज्य चुनाव प्रभारी हैं।
अगर वे अपने ही गृह जिले में असफल हुए तो उनकी प्रतिष्ठा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। वे भी सभी 27 सीटों पर लगातार प्रचार में जुटे रहे। इस चुनाव को भाजपा व कांग्रेस के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बताया जा रहा है।