नागपुर-नागभीड ब्रॉडगेज
Nagpur-Nagbhid Broad Gauge: महाराष्ट्र रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (महा रेल) द्वारा 2,380 करोड़ का नागपुर–नागभीड ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल नागपुर मंडल के तहत कोयला परिवहन में तुरूप का इक्का साबित होगा। इसकी वजह है कि 22 घंटे की दूरी को इस शार्टकट रेल रूट के माध्यम से केवल 4 घंटे में पूरी कर लिया जाएगी।
जानकारी के अनुसार, परियोजना का पहला चरण मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य नागपुर–नागभीड रेल सेक्शन को पूरी तरह ब्रॉडगेज में परिवर्तित करना है, ताकि यात्री एवं माल परिवहन दोनों को गति मिल सके। इससे न केवल रेल संचालन की दक्षता बढ़ेगी बल्कि औद्योगिक विकास और ऊर्जा क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी।
इस परियोजना की प्रारंभिक अनुमानित लागत 1,400 करोड़ थी लेकिन अब यह बढ़कर ₹2,380 करोड़ तक पहुंच गई है।
जानकारों की मानें तो इसके मुख्यत 3 कारण हैं. पहला वन विभाग द्वारा सुझाए गए वन्यजीव संरक्षण उपायों का कार्यान्वयन, दूसरा स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी और तीसरा परियोजना के कार्यान्वयन में देरी।
हालांकि महा रेल अब तक 2,025 करोड़ से अधिक की परियोजनाएं पूरी कर चुका है और इस गेज परिवर्तन परियोजना में भी कई हिस्सों में उल्लेखनीय प्रगति हो चुकी है।
अधिकारियों की मानें तो परियोजना क्षेत्र में वन्यजीव कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय लागू करना अधिक खर्चीला रहा।
राज्य सरकार ने सितंबर 2025 में इस परियोजना में अपनी हिस्सेदारी के रूप में अतिरिक्त 491 करोड़ की मंजूरी दी है। यह परियोजना ऋण–इक्विटी मॉडल पर आधारित है, जिसमें महाराष्ट्र सरकार और रेल मंत्रालय दोनों की 32.36 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जबकि शेष 35.28 प्रतिशत राशि वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त की जाएगी।
इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता गति शक्ति कार्गो टर्मिनल का विकास है, जो उमरेड में स्थापित किया जा रहा है। यह टर्मिनल वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) की उमरेड खदानों से कोयले के तेज और कुशल परिवहन के लिए बनाया जा रहा है। इस टर्मिनल से प्रतिदिन 4 से 5 कोयले की रेक लोड की जाएंगी। इससे कोयले के परिवहन का समय 22 घंटे से घटकर केवल 4 घंटे रह जाएगा। इससे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) की मालगाड़ी संचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इस सुविधा का सीधा लाभ महाजेनको (कोराडी), अडानी पावर (काचेवाड़ी) और एनटीपीसी जैसे प्रमुख विद्युत संयंत्रों को मिलेगा।
महा रेल इस परियोजना में पहली बार न्यू ट्रैक कंस्ट्रक्शन (एनटीसी) मशीनरी का उपयोग कर रही है। इस अत्याधुनिक तकनीक की मदद से प्रति दिन 1.5 किलोमीटर तक रेलवे ट्रैक बिछाया जा रहा है, जबकि पहले यह गति केवल 250–300 मीटर प्रतिदिन थी। इस रूट के पूरा होने के बाद नागपुर–नागभीड़ रेल सेक्शन सीधे डब्ल्यूसीएल की उमरेड खदानों से जुड़ जाएगा। यह विदर्भ के नेशनल ब्रॉडगेज नेटवर्क से जोड़ते हुए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी।
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• पहला चरण : इतवारी–उमरेड (61 किमी) सेक्शन मार्च 2026 तक
• दूसरा चरण : उमरेड–नागभीड़ (55 किमी) सेक्शन मार्च 2027 तक
• मुख्य विशेषता : उमरेड में गति शक्ति कार्गो टर्मिनल
• कोयला परिवहन सुविधा : प्रति दिन 4 से 5 कोयले के रैक लोडिंग। परिवहन का समय 22 घंटे से घटकर मात्र 4 घंटे रह जाएगा।