रामटेक (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: एक तो अब तक पर्यटन नीति के जीआर जारी करने में सरकार नाकाम रही है वहीं नई नीति में नागपुर के साथ भेदभाव होने का भी आरोप लगने लगा है। जानकारों का कहना है कि नई नीति में नागपुर जिले से ‘टूरिज्म जिला’ का दर्जा छीन लिया गया है। पुरानी नीति में नागपुर को टूरिज्म जिला के रूप में मान्यता दी गई थी। इससे कई प्रकार की सहूलियत खत्म होने का खतरा मंडराने लगा है।
2016 में जारी नीति में टूरिज्म प्रोजेक्ट को स्टाम्प ड्यूटी में, सब्सिडी में 100 फीसदी छूट मिलती थी लेकिन नई पर्यटन नीति में इसे 75 फीसदी कर दिया गया है। पर्यटन नीति पर काम करने वाले जुल्फेश शाह ने कहा कि नई नीति में यह बहुत बड़ी खामी है। इसका संज्ञान लेकर सरकार के समक्ष रखा गया है लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार नागपुर को ‘टाइगर कैपिटल’ कहती है और जब सुविधा देने की बात आती है तो हाथ पीछे खींच लेती है। 100 फीसदी छूट के चक्कर में कई लोगों ने एमओयू भी किए थे लेकिन जब नीति बदली तो इनकी रुचि भी बदल गई है। अब कई निवेशक हाथ पीछे खींचने लगे हैं। शाह ने कहा कि स्टेक होल्डर्स के लिए यह बहुत बड़ा धक्का है।
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उन्होंने बताया कि अहिल्यानगर से भी पर्यटन जिला का दर्जा छीन लिया गया था लेकिन इसका विरोध बड़े पैमाने पर होने से वहां पर निर्णय को वापस ले लिया गया। नागपुर के साथ अन्याय किया गया है। नई नीति में नागपुर को ‘टूरिज्म डिस्ट्रिक्ट’ के रूप में मान्यता मिलनी ही चाहिए, ताकि यहां पर अधिक से अधिक लोग निवेश के लिए आकर्षित हो सकें।