
नागपुर जिला कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Congress: नागपुर जिले में कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। एक दिन पूर्व स्थानीय निकाय चुनाव के इच्छुक उम्मीदवारों के साक्षात्कार का आयोजन जिलाध्यक्ष अश्विन बैस ने किया था। पूर्व मंत्री सुनील केदार, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र मूलक, सुरेश भोयर आदि की उपस्थिति में यह साक्षात्कार लिए जा रहे थे। इसी दौरान दूसरे गुट ने इस बैठक की शिकायत सीधे प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल से कर दी।
शिकायत मिलते ही सपकाल ने तत्काल जिले के निरीक्षक जगताप और चुनाव प्रभारियों को मौके पर भेज दिया, जिसके बाद उस बैठक को अवैध बताया गया। इस संबंध में अब सपकाल ने स्पष्ट किया है कि जिले में किसी प्रकार की गुटबाजी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिले के पदाधिकारियों ने सिर्फ इच्छुक उम्मीदवारों के साक्षात्कार लिए हैं। चुनाव कार्य से संबंधित बैठक बाद में बुलाई जाएगी। सभी प्रमुख नेता मिलजुलकर चुनाव की रणनीति तय करेंगे।
सपकाल ने बताया कि इस बार निकाय चुनावों में युवा और नए कार्यकर्ताओं को अवसर देने की मांग हो रही है। जिले में कांग्रेस की पकड़ और प्रभाव कम नहीं हुआ है। जिलाध्यक्ष अश्विन बैस ने भी कहा कि बैठक की सूचना सभी पदाधिकारियों को दी गई थी। कुछ पदाधिकारी बैठक में उपस्थित नहीं हो सके, परंतु कार्यवाही पूरी तरह नियमों के अनुसार की गई। निरीक्षक और चुनाव प्रभारी भी बैठक में उपस्थित थे। हालांकि, चुनाव निरीक्षक ने इस मामले में कोई टिप्पणी करने से इनकार किया।
गौरतलब है कि जिले में पूर्व मंत्री सुनील केदार का खासा प्रभाव है। 2014 की मोदी लहर के दौरान जब कांग्रेस जिले से पूरी तरह साफ हो गई थी, तब अकेले केदार ने पार्टी का झंडा बुलंद रखा था। बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलाया और उसे जीत भी दिलाई थी।
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हालांकि विधानसभा चुनाव में वे अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में पराजित हुए, लेकिन इस झटके के बावजूद उन्होंने संगठन को मजबूत करने का काम जारी रखा। जिला परिषद में भी उन्होंने अपने समर्थकों को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। आज भी वे जिले में कांग्रेस के एकमात्र प्रभावशाली नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। पार्टी नेताओं को भी यह भलीभांति ज्ञात है कि जिले में कांग्रेस को मजबूत बनाए रखना है तो आगामी निकाय चुनाव के लिए नेतृत्व केदार के हाथों में ही रहना चाहिए।






