नागपुर में बढ़ा वायु प्रदूषण (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Pollution: दिवाली के अवसर पर शहर में बड़े पैमाने पर हुई आतिशबाजी के कारण नागपुर की हवा में प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ गया है। विशेष रूप से रामनगर और महाल क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई।
प्रदूषण मापन केंद्रों के अनुसार 21 अक्टूबर को रामनगर क्षेत्र का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 207 दर्ज किया गया जबकि 22 अक्टूबर को महाल क्षेत्र का एक्यूआई 171 के स्तर पर पहुंच गया। पर्यावरण विशेषज्ञों ने बताया कि इन दोनों आंकड़ों के अनुसार हवा ‘खराब’ श्रेणी में आती है।
बारिश का मौसम खत्म होते ही शहर के मौसम में बड़ा बदलाव महसूस किया जा रहा है।
नागपुर शहर में वायु प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। 17 अक्टूबर को उपराजधानी के सभी प्रदूषण मापन केंद्रों पर एक्यूआई 200 से अधिक दर्ज किया गया था। इसके बाद प्रदूषण का ग्राफ कुछ कम हुआ। इस वर्ष लक्ष्मी पूजा के दो शुभ मुहूर्त थे। इसलिए 20 और 21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा मनाई गई। पिछले साल के रिकॉर्ड को देखते हुए यह आशंका थी कि प्रदूषण में वृद्धि होगी लेकिन इसके विपरीत लगातार दो दिनों तक पटाखे फोड़े जाने के बावजूद आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में कमी दिखाई दी।
हालांकि पिछले दो वर्षों से महाल और रामनगर में वायु प्रदूषण के आंकड़े चौंकाने वाले रहे हैं। पटाखों की आतिशबाजी भले ही उत्सव का हिस्सा हो लेकिन इसका विपरीत प्रभाव शहर की वायु गुणवत्ता पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। रामनगर और महाल क्षेत्रों का एक बार फिर सबसे प्रदूषित स्थान बनना यह दर्शाता है कि प्रशासन और नागरिकों को सजग रहने की आवश्यकता है। शहर में 21 तारीख को रामनगर में सर्वाधिक प्रदूषण (207 एक्यूआई) और 22 तारीख को महाल में सर्वाधिक (171 एक्यूआई) दर्ज किया गया।
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अंबाझरी – 158 (21 तारीख), 152 (22 तारीख)
सिविल लाइंस – 142 (21 तारीख), 146 (22 तारीख)
रामनगर – 207 (21 तारीख), 138 (22 तारीख)
महाल – 148 (21 तारीख), 171 (22 तारीख)
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार महाल सबसे प्रदूषित क्षेत्र है जहां सबसे अधिक ‘मध्यम’, ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी के दिन दर्ज किए गए। रामनगर क्षेत्र में दो दिन ‘खराब’ हवा दर्ज की गई। जीपीओ सिविल लाइंस क्षेत्र में एक दिन ‘खराब’ हवा दर्ज की गई जबकि अंबाझरी क्षेत्र में ‘मध्यम’ प्रदूषण दर्ज किया गया। यहां ‘खराब’ दिन एक भी नहीं रहा। शहर में 10 अक्टूबर से प्रदूषण में वृद्धि हुई। आशंका है कि सर्दियों में यह वृद्धि और अधिक तीव्र हो सकती है। दिवाली में पटाखों के कारण होने वाला प्रदूषण अत्यंत खतरनाक साबित हो सकता है।