नागपुर एयरपोर्ट (सोर्स: सोलश मीडिया)
Nagpur Airport Development News: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पिछले काफी समय से एयरपोर्ट हस्तांतरण को लेकर प्रयासरत हैं। लगभग 3 वर्षों से दोनों भरोसा जता रहे थे कि ‘जल्द’ ही हस्तांतरण हो जाएगा। 3 वर्ष निकल गए परंतु केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल पायी। इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि मुंबई में तीसरे एयरपोर्ट को बनाने का काम शुरू हो चुका है। दूसरा एयरपोर्ट लगभग बनकर तैयार है और जल्द ही उड़ान भरेगा।
सवाल यह उठता है कि मुंबई में तीसरे एयरपोर्ट की पहल हो चुकी है। वहीं राज्य के उपराजधानी नागपुर के पहले एयरपोर्ट पर ही ‘संकट’ खत्म नहीं हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री के रहने के बाद भी ‘वैश्विक प्रोजेक्ट’ में इतनी विलंब की बात किसी को हजम नहीं हो रही है। जैसे-जैसे दिन निकल रहे हैं वैसे-वैसे नागपुर के युवाओं के सपने भी ध्वस्त होते जा रहे हैं। जरूरी है कि जल्द से जल्द एयरपोर्ट का हस्तांतरण हो और एयरपोर्ट के साथ-साथ सिटी के विकास को भी पंख लगे।
निरंतर नागपुर को ग्लोबल सिटी बनाने की बात करते रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लाने में सफलता भी मिली है परंतु एयरपोर्ट जैसे अहम प्रोजेक्ट में हम पीछे रह जा रहे हैं। सवाल यही उठता है कि नागपुर को इस प्रतिस्पर्धी युग में कैसे ग्लोबल सिटी बनाया जा सकता है।
एयरपोर्ट के विकास की गति को देखकर तो कम से कम यही कहा जा सकता है। अब कुछआ चाल बोलना भी उचित नहीं लगता। हर बार सुई कहीं एक जगह अटक जाती है। इस बार लेट के लिए जिम्मेदार ‘कैबिनेट मंजूरी’ को माना जा रहा है। कैबिनेट के पास फाइल पिछले 5-6 माह से पड़ी है लेकिन इस पर चर्चा ही नहीं हो रही है।
एयरपोर्ट का निजीकरण कोई छोटी बात नहीं है। एयरपोर्ट के विकास का सीधा संबंध ‘विदर्भ’ के विकास से जुड़ा है। इस केंद्र को लेकर ही टाइमपास की नीति अपनाई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जनवरी के पहले सप्ताह में ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जमीन हस्तांतरण की घोषणा की थी। इसके बाद जीएमआर को हवाई अड्डा देने का रास्ता साफ हो गया था लेकिन तब से लेकर अब तक फाइलें प्रक्रियाओं के दौर से ही गुजर रही हैं। मई में उम्मीद जागी थी।
फिर जून-जुलाई भी गुजर गया और अब अगस्त भी निकल गया। उम्मीद टूटती नजर आने लगी है। फाइल को अंतिम मंजूरी नहीं मिल पायी। एविएशन सेक्टर के जानकारों का कहना है कि एयरपोर्ट हस्तांतरण में जितना विलंब होगा चुनौतियां उतनी अधिक बढ़ती जाएगी क्योंकि नागपुर को हैदराबाद, रायपुर, भोपाल, शिर्डी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इन एयरपोर्टों का विकास भी काफी तेजी से हो रहा है। खासकर हैदराबाद इस मामले में काफी आगे निकल चुका है।
जिस प्रकार प्रोजेक्ट को ग्लोबल बनाने की दिशा में पहल होती है, प्रशासनिक कार्य पद्धति ग्लोबल नहीं हो पा रहा है। कार्य भी ग्लोबल तरीके से ही करना होगा। तभी चीजें समय पर पूर्ण होगी और फल भी अपेक्षित मिलेंगे। दोनों नेता ग्लोबल लुक देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
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मेट्रो से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक के कार्य हो रहे हैं परंतु जब बात एयरपोर्ट की आती है तो यहां पर हम ‘स्वदेशी’ हो जा रहे हैं। न एयरपोर्ट ‘ग्लोबल’ बन रहा है और न ही हम ‘ग्लोब’ को जोड़ पा रहे हैं। दोनों ही पैमानों पर सिटी बुरी तरह से पिछड़ रही है और सभी खामोशी से इन बातों को देख रहे हैं।
इस बीच यह पता चला है कि एमआईएल और एएआई के साथ ही जीएमआर के अधिकारी एयरपोर्ट संचालन में अपनी भागीदारी करने लगे हैं। कई अधिकारी अब एयरपोर्ट में नियुक्त किए जा चुके हैं। एयरपोर्ट के वर्तमान संचालन से लेकर भविष्य की योजनाओं पर कार्य आरंभ कर चुके हैं परंतु उनकी पकड़ पूरी तरह से मजबूत नहीं हो पा रही है क्योंकि अधिकृत रूप से जमीन हस्तांतरण नहीं हो पाया है।
कई संगठन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध कर रहे हैं कि एयरपोर्ट का मामला जल्द से जल्द सुलझाया जाए और एयरपोर्ट की गति बढ़ाई जाए अन्यथा मुंबई का तीसरा एयरपोर्ट भी बनकर तैयार हो जाएगा और नागपुर एक एयरपोर्ट के विकास के लिए तरसता रह जाएगा।