एनवीसीसी चुनाव (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: नाग विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स (एनवीसीसी) की 81वीं वार्षिक आम बैठक में मंच पर जब पूर्व अध्यक्ष दीपेन अग्रवाल और अश्विन मेहाडिया आपस में गले मिले तो सभी अचंभित रह गए। उन्हें समझ में नहीं आया कि एकाएक ‘भरत मिलाप’ कैसे हो गया। इसकी भनक किसी को नहीं थी, और उम्मीद भी नहीं थी कि ऐसा कुछ एजीएम के बीच में होने वाला है।
हालांकि इसकी सुगबुगाहट एक दिन पूर्व यानी बुधवार को कुछ लोगों को लग गई थी। जब कार्यकारिणी की घोषणा हुई तब यह स्पष्ट हो गया कि ‘भरत मिलाप’ की नींव पहले रखी जा चुकी थी। चेंबर की ओर से एक फोटो भी जारी किया गया है जिसमें मेहाडिया-अग्रवाल गले मिल रहे हैं। दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट भी जबरदस्त है। ये दो मुस्कुराहटें अपने आप में काफी कुछ बयां कर रही हैं।
वर्ष 2022 की एजीएम रविनगर स्थित अग्रसेन छात्रावास में हुई थी। उस दिन दोनों ओर से जबरदस्त जुबानी जंग हुई थी। जुबानी जंग के बीच हाथापायी और मारपीट तक हो चुकी थी। बाकायदा दोनों पक्षों की ओर से सदस्य से इतर अलग से लोगों को बुलाया गया था। 2 घंटे से अधिक समय तक जबरदस्त ड्रामा चला था।
चप्पल-जूते चले थे और कुर्सियां तक फेंक दी गई थीं। इस चुनाव के दौरान शहर के बड़े-बड़े दिग्गज कारोबारी, उद्यमी तक मैदान में कूद पड़े थे और अपने-अपने पक्ष में हंगामा कर रहे थे। दोनों पक्षों के अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया था। इसके बाद भी लड़ाई रुकी नहीं थी।
अश्विन अध्यक्ष बने, दीपेन ने कोर्ट और एनसीएलटी का सहारा लिया और घोर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया। अश्विन को पद से हटाकर ही दम भरा। इसके बाद भी लड़ाई खत्म नहीं हुई थी। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से दोनों एक दूसरे के विरुद्ध लड़ाई लड़ते रहे। फिर एकाएक ऐेसा क्या हो गया कि ‘भरत मिलाप’ उसी चेंबर की एजीएम के मंच पर हो गया। हर किसी की अपनी दलील है। सभी अपने-अपने अनुसार समीक्षा भी कर रहे हैं।
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दोनों की लड़ाई के कारण चेंबर की स्थिति दयनीय हो गई थी। कोर्ट केस ने चेंबर के हाथ बांध दिए थे। कोई निर्णय लेना कार्यकारिणी के लिए मुश्किल हो रहा था। ऐसे में अगर दोनों एक साथ आते हैं तो यह चेंबर के लिए अच्छी बात है। इससे चेंबर को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी लेकिन एक सवाल यह भी उठता है कि चेंबर के जो 3 वर्ष बर्बाद हुए हैं, उसका जिम्मेदार किसे ठहराया जाए?
दोनों पूर्व अध्यक्षों अग्रवाल और मेहाडिया से संपर्क करने पर दोनों ने दावा किया है कि भविष्य में कोई भी विवाद उत्पन्न नहीं होगा। दोनों चेंबर के हित में काम करेंगे और चेंबर को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे। दोनों का कहना है कि किसी के ‘दबाव’ में यह कदम नहीं उठाया गया है। आपसी बातचीत के बाद यह कदम उठाया गया है। जो भी हो, यह कदम चेंबर के हित में है परंतु ‘भरत मिलाप’ कितना कारगर साबित होता है यह फिर एक बार आने वाला ‘समय’ ही बताएगा। इस बीच दीपेन ने घोषणा की है कि वे चेंबर और मेहाडिया के खिलाफ सारे मामले वापस लेने जा रहे हैं।