मनपा पर जीएसटी कटौती का असर (फाइल फोटो)
Nagpur News: केंद्र सरकार ने आम आदमी के लिए जरूरी वस्तुओं पर जीएसटी कम कर दिया है। यह कटौती आम आदमी के लिए खुशी का विषय है लेकिन राज्य सरकार को जीएसटी से मिलने वाले राजस्व में भी कमी आएगी। एक ओर ‘लाडली बहन’ योजना का बोझ राज्य सरकार पर है तो वहीं राजस्व में भी कमी होने से राज्य की महानगर पालिकाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
सरकार हर महीने के पहले हफ्ते में मनपा को जीएसटी सब्सिडी देती है। इस जीएसटी सब्सिडी की तारीखों में देरी होने की संभावना है। सरकार ने ‘लाडली बहन’ को सब्सिडी देने के लिए अप्रैल और मई के दो महीनों का 5000 करोड़ रुपये का भुगतान रोक दिया था। अधिकारियों ने जीएसटी में कमी के कारण इस सब्सिडी में दो से तीन महीने की देरी की संभावना जताई है।
सरकार के वित्त विभाग ने 2025-26 के बजट में 2.5 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य जीएसटी, अंतरराज्यीय जीएसटी, मूल्य वर्धित कर, व्यापार कर से निर्धारित किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी में किए गए बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे। कई वस्तुओं पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है। इससे केंद्र सरकार के हिस्से की तरह राज्य सरकार की जीएसटी आय भी घटेगी।
खासकर दवाइयों, स्वास्थ्य बीमा, खाद्य पदार्थों पर लगने वाले टैक्स में कमी आएगी। इससे आम नागरिकों को काफी राहत मिलेगी लेकिन राज्य सरकार को विभिन्न योजनाओं पर होने वाले खर्च समेत राज्य की आय पर पड़ने वाले प्रभाव को संतुलित करने के लिए संघर्ष करना होगा और मनपा को मिलने वाले अनुदान चक्र के धीमा होने की संभावना है।
आबकारी के बाद मनपा को एलटीबी के माध्यम से हर महीने एक निश्चित आय होती थी। जीएसटी लागू होने के बाद मनपा को हर महीने की चौथी तारीख के भीतर राज्य सरकार से जीएसटी अनुदान मिलना बंधनकारक है। इस वर्ष अप्रैल और मई के महीनों में मनपा को प्रति माह 148 करोड़ रुपये यानी 296 करोड़ रुपये की देरी हुई थी। सभी 29 महानगर पालिकाओं को लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का अनुदान रुक गया था।
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मनपा को 148 करोड़ रुपये मिलना अनिवार्य है। हालांकि यह मिलेगा लेकिन विभिन्न योजनाओं पर खर्च के बोझ को देखते हुए समय को लेकर संदेह है। जीएसटी सब्सिडी मनपा के मासिक वेतन और पेंशन पर खर्च होती है। अगर जीएसटी सब्सिडी में देरी होती है तो वेतन और पेंशन को लेकर सवाल उठने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
मनपा को दिए जाने वाले जीएसटी में हर वर्ष 8 प्रतिशत प्राकृतिक वृद्धि देना जरूरी है। यह वृद्धि हर वर्ष अप्रैल में की जाती है। 2024-25 में सभी मनपाओं को प्रति माह कुल 2200 करोड़ जीएसटी सब्सिडी देय थी। इस वर्ष अप्रैल में जीएसटी सब्सिडी में 8 प्रतिशत की वृद्धि के अनुसार 176 करोड़ की वृद्धि अपेक्षित है। यानी अप्रैल से सभी मनपा को 2376 करोड़ मिलने चाहिए लेकिन अप्रैल और मई दोनों महीनों के कुल 4752 करोड़ रुपये अटक गये हैं। अब राज्य के खजाने में कमी आएगी। इससे 8 प्रतिशत स्वाभाविक वृद्धि पर भी प्रश्न चिह्न लग गया है।