मेडिट्रिना अस्पताल मामले में हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Meditrina case: मेडिट्रिना अस्पताल से जुड़े एक मामले में 16 करोड़ की कथित धोखाधड़ी को लेकर डॉ. समीर पालटेवार और डॉ. सोनाली पालटेवार सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए सोनाली ने निचली अदालत में अर्जी दायर की थी किंतु निचली अदालत ने जमानत नहीं दी।
जिससे राहत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया किंतु सोनाली को हाई कोर्ट से भी झटका मिला। हालांकि हाई कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस तो जारी किया किंतु अंतरिम सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने आदेश में कहा कि अंतरिम आदेश जारी करने का मामला ही नहीं बनता है।
उल्लेखनीय है कि आरोपियों पर आईपीसी की धारा 409 (विश्वास का आपराधिक हनन), 406, 420 (धोखाधड़ी) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप लगे हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार उन्होंने और डॉ. समीर पालटेवार ने मिलकर 19 दिसंबर 2006 को वीआरजी हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का गठन किया था जिसके तहत मेडिट्रिना अस्पताल स्थापित किया गया था। आरोपों के मुताबिक डॉ. समीर पालटेवार और उनके परिवार के सदस्यों, जो अन्य कंपनियों के निदेशक थे, ने अस्पताल के बैंक खाते से करोड़ों रुपये का गबन किया।
शिकायत में कहा गया है कि डॉ. समीर पालटेवार, डॉ. सोनाली पालटेवार और अन्य ने कथित तौर पर मेडिट्रिना अस्पताल के बैंक खाते से 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का गबन किया। इसके अतिरिक्त, डिजिटल मार्केटिंग और विज्ञापन के लिए फर्जी बिल बनाकर कंपनी को 16 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाने का भी आरोप है।
आवेदकों पर यह भी आरोप है कि डॉ. समीर पालटेवार ने अन्य ‘शैल कंपनियों’ का गठन किया जिसके आवेदक/आरोपी परिवार के सदस्य निदेशक थे, ताकि मेडिट्रिना अस्पताल से राशि का दुरुपयोग किया जा सके। आवेदक डॉ. सोनाली पालटेवार को डॉ. समीर पालटेवार के कहने पर अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था।
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वे ओविएट हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड और मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड की भी निदेशक हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि ओविएट हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड ने मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड से राशि प्राप्त की थी जिससे यह संकेत मिलता है कि यह कंपनी मुख्य कंपनी से धन निकालने के लिए स्थापित की गई थी।